त्योहार जिंदगी को जीने का एक मौका होते हैं

त्योहार जिंदगी को जीने का एक मौका होते हैं

यह वक्त हमारे हिंदुस्तान में सेलिब्रेशन का है। अगर हम बाजारों में देखें तो इस वक्त की चमक-दमक अपनी चरम पर है। हर कोई अपने हिसाब से त्योहार की रंगीनियों में रमा है। मॉल की सजावट का अलग अंदाज़ है तो वहीं लोकल बाजारों में मिलने वाली रंगोली और दीयों को देखने का अपना एक चार्म है। लेकिन दिवाली के सेलिब्रेशन में कुछ बातों को याद करना भी ज़रूरी है।

लोकल लोगों को भी करें सपोर्ट

हम जब मॉल जाते हैं तो कोई भी मोलभाव नहीं करते, वहां ऐसा करने की इजाज़त भी नहीं है, लेकिन जब हम लोकल मार्केट जाते हैं तो वहां मोलभाव किए बिना हमारा खाना ही मानो हज़म नहीं होता, प्लीज़ ऐसा ना करें। अगर आपके ऊपर लक्ष्मी की असीम कृपा है तो सड़क पर बैठकर अपने दिए, पटाखे, रंगोली जैसी चीजों को लेकर अपना एक छोटा सा बिज़नेस कर रहे लोगों की जिंदगी में भी स्पार्क ले आइए। ऐसा भी हो सकता है कि वो कीमत से कुछ ज़्यादा मांग रहे हों, उनके साथ कीमत की बहस ना करिए, उनके घर भी दिवाली है तो खुशियों के दीपक उनके घर में भी जला दीजिए।

थोड़ा कैलोरी की बातें कम

आजकल लोग फिटनेस को लेकर बहुत ज़्यादा अवेयर हैं, कई बार लोग जब चार से पाँच किलो वजन घटा लेते हैं तो वो सिर्फ वजन कैसे घटाया जाए पर ही बात करना सबसे ज़्यादा पसंद करते हैं। चूंकि वो फिटनेस फ्रीक होते हैं, ऐसे में डीप फ्राइड, ऑयली और मिठाइयों से उनका ज़रा परहेज होता है। अच्छी बात है कि अगर आप भी फिटनेस फ्रीक लोगों की कैटेगरी में आते हैं तो लेकिन त्योहार पर किसी को भी मिठाई और पकवान खाते हुए देखकर फिटनेस के बारे में बातें ना करें। इससे आप अपनी फिटनेस जर्नी को नहीं बता रहे होते बल्कि वे लोग जो कुछ उल्टा-सीधा आपकी नज़र में खा रहे हैं, उन्हें लो-फील होता है। यह बहुत अच्छी बात है कि आपका खुद पर कंट्रोल है, आप कैलोरी कॉन्शस हैं, लेकिन इस बारे में लेक्चर त्योहार के मौके पर शोभा नहीं देता।

वो रूठों से मिल लीजिए

त्योहार का मकसद क्या होता है? कभी इसे गहराई से सोचकर देखिए। यह त्योहार असल में खुशियों की पोटली को अपने साथ बांधकर लाते हैं और जब यह पोटली हमारे घर में खुलती है तो बहुत सी हंसी, उम्मीदें और रौशनी को भी अपने साथ लाती है। इस त्योहार पर आप भी बहुत सी खुशियां बिखेर लीजिए। जो आपसे रूठ गए हैं या आप जिनसे रूठे हैं, उनसे मिल लीजिए, उन्हें गले लगा लीजिए, उन्हें माफ कर दीजिए, उनसे माफी मांग लीजिए। आप इस बात पर यकीन कर लीजिए कि ईगो में कुछ भी नहीं रखा। जिंदगी ना जाने कब तक है, बस जो है जितनी है अगर अपनों का साथ होता है तो फिर यह यूं ही मुस्कुराते हुए बीत जाती है।

उम्मीद को ज़िंदा रखें

इस दिवाली अपने मन में एक उम्मीद को ज़िंदा रखिए। अपने आचार-व्यवहार में एक पॉज़िटिविटी लेकर आइए। दिल से अपने त्योहार को मनाइए। अपने रिश्तेदारों को अपने घर पर बुलाइए। अगर आप अलग बड़े शहरों में नौकरी की वजह से अपने घर से दूर हैं तो कोशिश करिए कि आप दिवाली पर लौटें उन पगडंडियों की तरफ, जहां उम्मीद का दिया जलाए आपकी मां आपका इंतज़ार कर रही है। हर त्योहार कुछ सीख देता है और दिवाली की सीख की बात करें तो यह मन में उजास भरने के लिए आती है। यह एक पॉज़िटिविटी लेकर आती है। यह पर्व हमें बताता है कि जिंदगी में परेशानियों का अंधकार कितना भी क्यों ना हो, बस अपनी सकारात्मक ऊर्जा का दिया हमें अपने अंदर जलाकर रखना है।

जाते-जाते एक बात

आप दिवाली के दिन खुद को इस त्योहार में भीग जाने दें। आस सिर्फ मोबाइल पर फोटो क्लिक कर खुद को अच्छे से ड्रेसअप कर, सोशल मीडिया पर अपलोड करने तक सीमित ना रखें। बेशक अब लोग रील बनाते हैं, फोटो क्लिक करते हैं और अपनी जिंदगी में एक मीठी सी याद जोड़ते हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर ही अटके ना रह जाएं। सोशल मीडिया पर आप दूसरों को, अपने फ्रेंड्स को विश करें लेकिन रियल ग्राउंड पर भी अपने दोस्तों को गले लगाकर हैप्पी दिवाली कहें। अपने घर में रंगोली बनाएं, दीयों में अपनी मां के साथ तेल या घी जो भी आप डालते हैं वो डालें। अगर आप ऐसा करेंगे तो आप समझ पाएंगे कि इस बार की दिवाली आपको क्या सिखा और समझा गई।

लेख जंक्शन की पूरी टीम की तरफ से हमारे लेख जंक्शन परिवार को दिवाली की बहुत-बहुत बधाई। खूब रील बनाइए, सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करिए और अपने घर की रंगोली में भी रंग भर लीजिए।

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