चलो जिंदगी की गाड़ी को मोड़ लेते हैं नानी के घर

चलो जिंदगी की गाड़ी को मोड़ लेते हैं नानी के घर

अगर आप सभी किताबें पढ़ने के शौकीन हैं तो उन किताबों की कहानी में आपने नानी के घर के किस्से पढ़े और अपनी जिंदगी में उस घर को महसूस किया होगा। खैर गांव में नानी का वो पगडंडी से गुजरता हुआ घर तो अब यादों की दुनिया में कैद हो चुका है। इस घर का पता अब शहर में ही है। लेकिन हां नानी के घर का जो तिलिस्म है वो अब भी कायम है। वक्त के साथ साथ बहुत कुछ बदलता है और बदलना चाहिए भी। पहले जहां बच्चे छुट्टियों होते ही नानी के घर पहुंच जाया करते थे वो अब बदल चुका है। अब बच्चे समर वेकेशन में नानी के घर जाने के अलावा हॉबी क्लासेज भी अटेंड कर रहे हैं। ऐसे में ना चाहते हुए भी नानी के अब पूरे डेढ़ महीने नहीं रहा जाता। लेकिन हां यह सच है कि आपको नानी के घर छुट्टियों में भले ही कम दिन को लेकिन जाना जरुर चाहिए। तो चलिए देर किस बात की अब वेकेशंस आने को ही हैं। अपनी जिंदगी के गाड़ी को मोड़ लेते हैं नानी के घर जहां आपको अपनी मम्मी का मुस्कुराता बचपन मिलेगा और आप भी कुछ ऐसी स्किल सीखेंगे जो जिंदगी भर आपको याद ही रहेगी।

साझा करने का भाव

हम सभी लोग आजकल एक अंग्रेजी की कहावत "शेयरिंग इज केयरिंग" को याद कर चुके हैं लेकिन अगर हम वाक्य के मायनों को सही मायनों में समझना चाहते हैं तो आप नानी के घर बस एक हफ्ता गुजार आइए। आपको पता चल जाएगा कि शेयर करना किसे कहते हैं और शेयर करने में जो सुकून मिलता है वो क्या होता है। नानी के घर जब आप जाते हैं तो और दिनों के मुकाबले घर में अच्छी चीजें आती हैं, मिठाइयां आती हैं। इसके अलावा तरह तरह के पकवान बनते हैं। लेकिन वहां पर सिर्फ आप ही नहीं होते बल्कि आपके और कजिंस भी होते हैं जिनके साथ आपके कब अपनी खाने पीने की चीजों के अलावा अपने खिलौने कपड़े शेयर करने लगते हैं आपको पता भी नहीं चलता।

टीमवर्क में रहना

एक और चीज जो पूरी जिंदगी काम में आती है वो है एक टीम में रहना। आज के समय में खासतौर से वे बच्चे जो एकल परिवार में रहते हैं और इकलौते हैं। उन्हें अपने कजिंस के साथ रहने का मौका मिलता है। जहां वो खेल खेल में टीम में रहना और लोगों के साथ एडजस्ट करना सीख जाते हैं। वे एक दूसरे के क्राइम पार्टनर भी बनते हैं। ऐसे में यूनिटी भी डेवलप होती है। यहां तक कि कई बार कजिंस में आपस में दो टीम बनती हैं। हर टीम अपने आप को बेहतर साबित करती है। इसके जरिए वो यह भी समझ पाते हैं कि जीवन में साथ का क्या महत्व होता है। वो एक दूसरे के साथ काम करना और जीना सीख लेते हैं।

खुशियों का पता

सबसे बड़ी सीख जो नानी के घर जाकर मिलती है वो है जीवन में खुशियों के मायनों को समझना। यहां सिर्फ आप ही अपने कजिंस के साथ मिलकर खुश नहीं रहते बल्कि आपको अपनी मां भी खुश नजर आती है। ऐसा कुछ नहीं होता कि आपको कुछ स्पेशल मिल रहा होता है लेकिन बस आप यह समझ पाते हैं कि जीवन में अपनों का साथ होना कितना जरूरी है। जब सब साथ होते हैं तो वह बहुत खुश होते हैं। साथ में दाल चावल और अचार खाने का भी एक मजा है। इसके अलावा रात को जागकर बातें करना, कैरम या कोई भी इंडोर गेम जो आप पसंद करते हैं, उसे खेलना वो अनुभव है जो आपको सकारात्मक रखने में सहायक है।

बस अगर आप जिंदगी के इस हासिल को समझ गए तो आपको पता चल जाएगा कि जीवन में खुशियों का पता पैसों से कतई नहीं मिलता। जीवन में खुशियां अपनों के साथ आती हैं। जाते जाते एक और बात अपनी नानी के घर जाना मत छोड़िएगा। यहां आपको अपनी मां का मुस्कुराता बचपन देखने को मिलेगा। अगर आपकी नानी जिंदा हैं तो आप बहुत खुशकिस्मत हैं, लेकिन अगर नाना नानी नहीं भी हैं तो भी कोई बात नहीं मामा मामी मौसी मौसा वो सभी मिलेंगे जो आपको जिंदगी की खूबसूरत यादें देंगे। यह आपकी जिंदगी की किताब के वो खूबसूरत पात्र हैं जो आपके आज को तो खूबसूरत बनाते ही हैं लेकिन जब जिंदगी की शाम में आप आराम कुर्सी पर बैठकर अपने जीवन को याद करेंगे तो अपने बचपन को इसी ताने बाने में मुस्कुराता हुआ पाएंगे।

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