चलो बचपन वाली दोस्ती फिर से कर लेते हैं

चलो बचपन वाली दोस्ती फिर से कर लेते हैं

हर साल अगस्त के पहले संडे को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है। फ्रेंड्स की हमारी ज़िंदगी में क्या अहमियत है यह बात किसी से छिपी नहीं है। बनती-बिगड़ती इस आपाधापी से भरी ज़िंदगी में दोस्त ही तो होते हैं जो हमारे लिए किसी ठंडी मीठी हवा से कम नहीं होते। अगर आप उनमें से हैं जिनकी स्कूल-कॉलेज के ज़माने की दोस्तियां आपकी ज़िंदगी में आज भी कायम हैं तो आप बहुत किस्मत वाले हैं। बचपन वाले हमारे उन दोस्तों की बात ही अलग है। उनके साथ बैठना, बातें करना अपने आप में एक बहुत बड़ी स्ट्रेस बस्टर थेरेपी है। लेकिन इस दोस्ती को संभालकर रखने की भी ज़रूरत है। जानते हैं वो बातें जो आपकी दोस्ती को बनाएंगी और गहरा।

शिकायतों को कहें बाय

अब हम सभी लोग ज़िंदगी में इतने बिजी हैं कि बैठकर बातें कर लें यही बहुत है। अब आप अपने बेस्ट फ्रेंड से भी यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वो आपको बहुत टाइम दे। इसलिए टाइम को लेकर एक-दूसरे को उलहाना ना दें। बल्कि इन शिकायतों को अपनी ज़िंदगी से बाय ही कह दीजिए। जो भी वक़्त मिले आपको एक-दूसरे के साथ उसे जी भर के जी लिजिए। अगर वक़्त की कमी के चलते मिल भी नहीं पा रहे तो भी कोई बात नहीं, एक-दूसरे की ख़ैर-ख़बर फोन पर लेते रहिए। अगर आप उसके साथ कुछ शेयर करना चाहते हैं तो वीडियो बनाकर शेयर कर दीजिए। जैसे कि कोई एक चीज़ जो आप और वो साथ खाते थे, या फिर वो जगह जहां आप दोनों साथ घूमने जाया करते थे या वक़्त गुज़ारा करते थे। उसके साथ अपना कोई वॉइस नोट छोड़ दें। देखिए कैसे आपकी और उनकी ज़िंदगी खूबसूरत होती जाती है।

छोटे-छोटे पलों में है ज़िंदगी

अपनी दोस्ती को बड़ा बनाने के लिए आपको छोटी-छोटी चीज़ों को देखना और उन्हें जीना सीखना होगा। आप जब भी अपने दोस्त से मिलें उसे यह अहसास दिलाएं कि आज उन्होंने आपका दिन बना दिया। एक प्यारी सी मुस्कुराहट, एक प्यारी सी वो जादू वाली झप्पी सच में जादू का काम करती है। जब आप उन छोटी-छोटी मुस्कुराहटों में जीना सीख लेंगे तो आपके दोस्त को भी पता चलेगा कि उसका सनशाइन बचपन में भी और आज भी पहले भी आप थे और आज भी आप हैं। कई बार क्या होता है कि बड़े प्लान बनने के चक्कर में छोटे प्लान बन ही नहीं पाते।

ईगो नहीं होता

दोस्ती की सबसे बड़ी बात होती है कि दोस्ती में कोई ईगो नहीं होता। यह बात सच है कि आप अपने दोस्त से लड़ते नहीं तो बस इस रिश्ते को बनाए रखने के लिए ईगो को भी बीच में ना लाएं। मत सोचिए कि वो कॉल नहीं कर रही तो मैं क्यों कॉल करूँ। आप यह जानिए कि वो और आप एक-दूसरे के लिए बहुत ख़ास हैं। ऐसा ना हो कि ईगो की इस लड़ाई में आप और वो एक-दूसरे को खो दें। ऐसा भी नहीं है कि आप खुद को मिटा दें किसी के लिए। लेकिन हां जब आप अपनी तरफ से एक कोशिश जारी रखेंगी तो सामने वाला भी रिस्पॉन्स देगा। अगर कभी कोई बात भी हो जाए तो छोटी बातों को इग्नोर करें। यह आपकी ज़िंदगी के बड़े सुकून और खुशियों के लिए ज़रूरी है।

परिवार से भी करें दोस्ती

जब हम छोटे थे तो कहीं ना कहीं हमें अपने दोस्तों के पेरेंट्स और उनके मम्मी-पापा के बारे में भी पता होता था। अगर घर पास होता था तो हम उनके घर आया-जाया करते थे। लेकिन बड़े होने के और ख़ासकर मैरिड लाइफ के बाद दूरियां आना स्वाभाविक है। लेकिन इसके लिए भी आपके पास एक तरकीब हो सकती है। दोस्त के साथ उसके परिवार से भी करें दोस्ती। आपको अच्छा लगेगा जब आपकी फैमिलीज एक-दूसरे के साथ मिलेंगी, बात करेंगी और फैमिलीज को भी शिकायत नहीं रहेगी कि हसबैंड तो अपने दोस्तों में चले जाते हैं।

जताना है ज़रूरी

हम सभी के साथ यह दिक्कत है कि हम अपने रिश्तों में बहुत कुछ कहना ही भूल जाते हैं। हम बताना ही भूल जाते हैं। लेकिन नहीं, हर रिश्ते की तरह दोस्ती के रिश्ते को भी रिवाइव करने की ज़रूरत है। अपने दोस्त या सहेली को यह कहने की ज़रूरत है कि तुम मेरी ज़िंदगी में बहुत ख़ास हो। तुम वो हो जिसके साथ कब चार घंटे चार पल में बदल जाते हैं पता नहीं चलता। आज फ्रेंडशिप डे खत्म होने वाला है। आप इस दिन को खत्म होने से पहले ही अपने दोस्त को ज़रूर विश करें। यह मत सोचिएगा कि यह स्कूल-कॉलेज के बच्चों का एक डे है। यह दिन तो हम सभी का है। आप अपने फ्रेंडशिप डे और फ्रेंडशिप को एंजॉय करें। हम यही कामना करते हैं कि कभी साइकिल पर आपके घर आने वाला दोस्त अब अपनी कार या मोटरसाइकिल पर भी खुले दिल से आपके घर और आप उसके घर आते-जाते रहें। ऐसा इसलिए क्योंकि ज़िंदगी में चार्म बरक़रार रखने के लिए हर एक फ्रेंड ज़रूरी होता है।

इस तरह के और लेख पढ़ने के लिए हमारी केटेगरी "एडिटर्स चॉइस" पर क्लिक करें।

सिर्फ खाने-पीने की नहीं, खुद के अंदर एक इतिहास समेटे है पुरानी दिल्ली
सिर्फ खाने-पीने की नहीं, खुद के अंदर एक इतिहास समेटे है पुरानी दिल्ली

पुरानी दिल्ली का नाम अगर आपके ज़ेहन में आता है तो इसके साथ ही आपको याद आता है पुरानी दिल्ली का खाना—नहारी, कोरमे, चिकन टिक्का, असलम बटर चिकन और भी...

ज़िंदगी में फेलियर को कैसे डील करना है यह आप इम्तियाज़ अली से सीख सकते हैं
ज़िंदगी में फेलियर को कैसे डील करना है यह आप इम्तियाज़ अली से सीख सकते हैं

जेएलएफ का हर दिन अपने आप में ख़ास और बहुत सीख समेटे होता है। 3 फरवरी का दिन भी कुछ ऐसा ही था जब राइटर और डायरेक्टर इम्तियाज़ अली ने जब वी मेट सेशन...