आम फलों का राजा है, अलसाई गर्मी की दोपहर का एक साथी। गर्मी के मौसम में जब आता है तो झुलसती हुई गर्मी के साथ अपनी ठंडी मिठास भी लेकर आता है। लेकिन अब वक़्त है इस मौसम में इसे अलविदा कहने का। वो लोग जो सच्चे आम प्रेमी हैं वो आम को ढूंढ ढूंढ कर उसे खा रहे हैं। यह सोचकर कि अब अगली गर्मी में इसे खाएंगे। इस फल की ख़ासियत है कि इसका मज़ा आप सिर्फ अपनी टेस्टबड्स में महसूस नहीं करते। यह आपको यादों के गलियारे में भी लेकर जाता है। इसके साथ नानी का घर याद आता है। बचपन के साथी याद आते हैं। और फ्रिज नहीं होने के दौर में वो आम से लबालब बाल्टी याद आती है। ओह तुम कितने प्यारे हो आम।
देसी है अपना आम
आम बेशक राजा है लेकिन इसकी फ़ितरत हम मिडिल क्लास लोगों की तरह है। शायद यही वजह है कि राजा होने के बावजूद भी यह हर आम और ख़ास के दिल पर राज़ करता है। कुछ लोग इसे बहुत ही नाज़ाक़त के साथ खाना पसंद करते हैं लेकिन अक्सर लोगों को आपने इसे रफ एंड टफ अंदाज़ में खाते हुए देखा होगा। इसे लोग बिना काटे चूस कर खाना पसंद करते हैं। इतना ही नहीं इसे बिना किसी हिसाब किताब के दो तीन चार जितने मर्जी खाते हैं। अक्सर आम के साथ लोग कोई समझौता करना पसंद नहीं करते।
हर खाने के साथ एडजस्ट
गर्मी की दोपहर में यह खाने के बाद का मीठा भी बन जाता है। खाने के बाद आम खाना गर्मी में तो जैसे एक परंपरा ही बन जाती है। बहुत लोग तो आम से रोटी भी खा लेते हैं। वहीं आमरस और पूरी का कॉम्बिनेशन तो लाजवाब है। और तो और सुबह सुबह आम रस पीने का रिवाज़ बच्चों में आज भी कायम है। हां पहले लोग अमरस पीते थे वहीं अब लोग मैंगोशेक और मैंगो स्मूदी पीने लगे हैं।
यादों का है साथी
हम जब अपने बचपन को याद करते हैं तो उसमें कुछ बातों का ज़िक्र होता है। लेकिन आम उन गिने चुने फलों में शामिल है जिसके साथ यादों के गलियारे महकता है। हर किसी के पास आम से जुड़ा कोई मज़ेदार क़िस्सा जुड़ा होता है। कोई बताता है कि वो बचपन में इतने आम खाता था कि उसके फोड़े निकल जाते थे, तो कोई आपको बताएगा कि जब हम नानी के घर जाते थे तो कैसे दूसरों की नज़र से बचाते हुए दूसरे के मुक़ाबले कैसे आम को ज़्यादा खाते थे। कहने का मतलब है कि यह लोगों की यादों का है साथी।
अब कर लीजिए विदा की तैयारी
जब बाज़ार में आम आना शुरू होता है तो वो कुछ खटास लिए होता है। लेकिन हम लोग जो उसका इंतेज़ार कर रहे होते हैं वो इसकी खटास में ही आनंद लेना शुरू करते हैं। हां जब गर्मी बढ़ती जाती है तो इसकी मिठास भी बढ़ती जाती है। लेकिन अब बारिशें हो गई हैं। अब यह मौसम है जब आम बहुत कम दिखाई दे रहा है। यह वक़्त है विदाई का। बेशक अपने फेवरेट आम को विदा देने का मन नहीं है। लेकिन कोई बात नहीं। मौसम अब करवट लेने को तैयार है। और मौसम की यह करवट आम की विदाई है।
तुमसे सीखना होगा
अलविदा आम अगली बार अपनी ऐसी ही खटास और मिठास को साथ लिए आना। याद रखना हम सभी पलकें बिछाए तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। तुम हम सभी के फेवरेट हो। हमें पता है कि यह जाना तुम्हें भी अच्छा नहीं लग रहा होगा लेकिन दोस्त, अलविदा। तुम अगली बार फिर आना। ऐसे ही महकते चहकते मिठास से भरे हुए। तुम्हें पता है कि तुम्हारी ख़ास बात है कि तुम सभी के फेवरेट हो। ऐसा कोई कभी नज़र नहीं आया जिसने कहा हो कि आम तो भई मैं नहीं खाता। तुम हो ही ऐसे कि हर कोई तुम्हें पसंद करता है। यह ख़ूबी हम सभी को तुमसे सीखनी चाहिए सभी का फेवरेट होने की।