इंटरनेशनल वुमंस डे हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन स्त्रीत्व का जश्न है। इस दिन दुनिया भर में हजारों तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। कॉरपोरेट्स में इस दिन महिला कर्मचारियों के लिए तमाम तरह की फन एक्टिविटीज़ का आयोजन होता है। इस दिन कामकाजी महिलाएं सज-धजकर गुलाबी साड़ी पहन बड़े शान से अपने कार्यस्थल जाती हैं। ऐसा हो भी क्यों ना, आखिर यह स्त्रियों का दिन है और उनका यह जश्न तो बनता है। लेकिन इस जश्न में और हमेशा ही अपने जीवन में इस चीज़ को याद करें कि आप अपने आप में अनमोल हैं। आप पुरुषों की बराबरी में अपने अंदर की नरमी को ना खो दें। यह स्त्रीत्व आपकी पहचान है। इसे संवारिए, सजाइए और अपनी यह विरासत आने वाली पीढ़ी को दीजिए।
वो नर्म सा लहजा
अक्सर हम महिलाओं को देखते हैं कि जब वे बोलती हैं तो उनके मुंह से फूल झड़ते हैं। उनका वो नर्म सा लहजा। चाहे वे किसी से भी क्यों ना बातचीत करें, लेकिन अपनी वाणी के हुनर से दूसरों को इंप्रेस करने की कला वे बखूबी जानती हैं। सिचुएशन चाहे कैसी भी क्यों ना हो, लेकिन उनकी नरमी उनकी पहचान रही है। लेकिन आजकल अगर हम कुछ महिलाओं को देखें तो उन्होंने अपने लहजे को पुरुषों जैसा कर लिया है। बात करने के अंदाज़ में एक सख्ती आ गई है। अगर आप इस लाइन को पढ़कर यह जज करने लगें कि "तो क्या हुआ अगर महिलाएं पुरुषों जैसे लहजे में बात करने लगी हैं? आखिर वे ही अपने अंदाज़ में नर्मी क्यों लाएं?" तो माफ कीजिएगा, श्रेष्ठतम और खुद को बेहतर दिखाने का स्तर पुरुषों जैसे आचरण को धारण करना हरगिज़ नहीं है। वैसे भी मुकाबला पुरुषों से कहाँ है? यह तो समाज के साथ अपने अस्तित्व की लड़ाई है।
आप बहुत अलग हैं
हर महिला को इस बात को समझना होगा कि जब आप पहले अपने आप का मूल्यांकन सही तरह से करेंगी, तभी सामने वाला भी आपको इज़्ज़त देगा। अगर आप एक हाउसवाइफ हैं, तो इस महिला दिवस पर खुद से एक वादा करें कि आप कभी नहीं बोलेंगी कि "मैं तो हाउसवाइफ हूं, मैं तो कुछ भी नहीं करती।" आप सोचिए कि जब आपकी नज़र में ही आप कुछ नहीं करतीं, तो सामने वाले से आप क्यों उम्मीद कर रही हैं कि वो एक हाउसवाइफ के कामों की वैल्यू करे?
आप हाउसवाइफ हैं या एक कामकाजी महिला, यह आपका व्यक्तिगत मामला है। ऐसा बिल्कुल भी मत सोचिए कि कामकाजी होने के बाद ही आपके अंदर आत्मविश्वास आएगा। आप जो हैं, जैसी हैं, अपने आप में परिपूर्ण हैं। आपको अपनी इज़्ज़त खुद करनी है। जब आप अपने आप में संपूर्ण महसूस करेंगी, तो आपको पता चलेगा कि जो चीज़ें आपके अंदर स्वाभाविक हैं, जैसे कि दूसरों को माफ कर देने का गुण, एडजस्ट करने की क्षमता, वो सौम्य सी मुस्कान—यह सभी गुण आपको और हमें एक अच्छा इंसान बनने में मदद करते हैं।
इमोशनल होना भी अच्छी बात है
आपको जानकर हैरानी होगी कि अक्सर महिलाओं को इमोशनल होने के लिए बुरा समझा जाता है। आपने और मैंने तो बहुत बार सुना ही है कि, "अरे भई, तुम तो बड़ी इमोशनल हो।" लेकिन आप इस बात पर गर्व करिए कि आप इमोशनल हैं। बस, आप इमोशनल फूल किसी से ना बनिए। इमोशंस में आकर कोई फैसले मत लीजिए। अगर आप ऐसा करने में कामयाब रहीं, तो आप धीरे-धीरे इमोशनली इंटेलिजेंट बन जाएंगी। क्या आपको पता है कि आजकल कॉरपोरेट्स भी इमोशनली इंटेलिजेंट लोगों को पसंद करते हैं? आप गर्व करिए कि आपके अंदर यह गुण स्वाभाविक है।
आज क्या कर रही हैं आप?
तो बताइए ज़रा, कि आज के दिन यानी इंटरनेशनल वुमंस डे पर आपका क्या प्लान है? अगर आपने अब तक प्लान नहीं बनाया है, तो कोई बात नहीं। अब बना लीजिए। आज अपने लिए अपनी पसंद का तैयार होइए। कामकाजी महिलाओं के लिए तो उनके ऑफिस में खूब पार्टीज़ हो रही होंगी। लेकिन अगर आप घर पर हैं, तो अपने स्तर पर जो आप कर सकें, वो करें।
आप बाहर से खाना मंगवा सकती हैं, घर पर अपने लिए कुछ बना सकती हैं। सबसे महत्वपूर्ण, आज के दिन खुद को कोई ना कोई उपहार ज़रूर दें। अब यह मत कहिएगा कि तोहफे के लिए पैसे नहीं हैं। तोहफे के लिए पैसे की ज़रूरत नहीं होती। आप अपने बगीचे से कोई फूल तोड़कर अपने बालों में सजा सकती हैं या फिर खुद को एक स्पेशल मी-टाइम का तोहफा दे सकती हैं।
बस, आप कुछ भी करें, यह गुज़ारिश है कि आगे बढ़ने की चाह में पुरुष बनने की कोशिश हरगिज़ ना करें। आप अपने आप में बेहतरीन हैं, बस अपना स्त्रीत्व ना खत्म करें। जाते-जाते आपको हैप्पी वुमंस डे। दुआ है कि आप हमेशा खुश रहें, मुस्कुराएं।