मेरी एक सहेली को हाल ही में कैंसर डायग्नोस हुआ है। ख़ैर जब हमें उसके कैंसर का पता उसके ही बनाए गए वॉट्सऐप ग्रुप से चला तो हम सभी दोस्तों के लिए यह किसी शॉक से कम नहीं है। हम सभी लोगों की वो आजकल चहेती बन गई है। वो इस ग्रुप में कभी अपनी कीमोथैरेपी के बारे में बताती है, तो कभी अस्पताल जाते हुए कोई फोटो उस ग्रुप में शेयर करती है।
हम लोग कर भी क्या सकते हैं? कभी उसे मोटिवेट करते हैं तो कभी ग्रुप पर उसके हालचाल पूछते हैं। कहने का मतलब है कि जितना हो सकता है इस ऑनलाइन बिज़ी दुनिया में समय निकालने की कोशिश करते हैं। मैं भी दिन में कम से कम एक मैसेज तो उसे कर ही लेती हूं। लेकिन पिछले दिनों उसका एक वीडियो मैसेज आया, जिसका कैप्शन था "मैं बहुत स्ट्रॉन्ग हूं लेकिन न जाने क्यों थर्ड कीमोथैरेपी सेशन कराने के बाद आंखों से आंसू बहे चले जा रहे हैं, रुक ही नहीं रहे।"
मैं अगर अपनी दोस्त की बात करूं तो वह दबंग पर्सनैलिटी की मालिक है। वो उनमें से नहीं है जो बहुत जल्दी टूट जाए। मैंने उसके साथ बहुत सालों तक काम किया, लेकिन उसे किसी भी मौके पर कमजोर होकर रोते हुए नहीं देखा। वो मुकाबला करने वाली लड़की है। हालातों के सामने झुकती नहीं है, हालातों से लड़ती है और अक्सर ही जीतती है। लेकिन इंसान ही है वो भी। इन सेशंस में टूट गई होगी और रोने लगी।
लेकिन उस वीडियो मैसेज ने मुझे सोचने को मजबूर कर दिया कि आख़िर हम अपना रोना क्यों दबाने और छुपाने की कोशिश करते हैं? यह तो हमारे भावुक होने की, हमारे इंसान बने रहने की एक निशानी है।
रो लीजिए अपनों के साथ
रोना सच में कोई बुरी बात नहीं है। और ना ही यह कमजोर होने की निशानी है। अगर आप स्ट्रेस में हैं तो आप अपने किसी अपने के साथ बैठकर अपने ग़म को हल्का कर सकते हैं। अगर आपको रोना आ रहा है तो आप रो लीजिए। बस इतना याद रखें कि आप उन लोगों के साथ अपने इमोशंस को शेयर करें जो आपको और आपकी प्रॉब्लम्स को समझें। कई बार ऐसा होता है कि हम ग़लत लोगों के सामने अपनी बातें और अपने इमोशन रख देते हैं। बस, आप अपने सर्कल में उन लोगों को ही शामिल करें जो आपको और आपके इमोशंस को समझ पाएं। कई बार ऐसा होता है कि हम इतने परेशान होते हैं कि उन लोगों के सामने अपनी बात रख देते हैं जो हमारी बात को समझ नहीं पाते, जो हमारे इमोशंस की वैल्यू नहीं कर पाते। नतीजतन, वो हमारी छवि लोगों के सामने भी ख़राब करते हैं। ऐसे लोगों से सावधान रहने की ज़रूरत है। आपको समझना होगा कि हर कोई जो अपना लग रहा है वो आपका अपना नहीं है। इस दुनिया में बहुत ही कम लोग हैं जो आपकी और आपके इमोशंस की वैल्यू कर पाते हैं।
आप कमजोर नहीं हैं
अगर आपको लगता है कि रोना कमजोरी की निशानी है तो अपनी ग़लतफ़हमी को दूर कर लें। रोना कमजोरी की नहीं, आपको इमोशनल होने की निशानी है। और हां, अगर आप मान कर भी चलें कि रोना कमजोरी की निशानी है, तो इस चीज़ को स्वीकार करने में क्या परेशानी है कि हर इंसान की ज़िंदगी में कोई लम्हा उसे कमजोर करता है। तो बस, ऐसे ही किसी कमजोर लम्हें में आंखों में पानी आ जाने में कोई बुराई क्या है। हां, ये सच है कि खुद को स्ट्रॉन्ग रखना पड़ता है और हर समय हर बात पर आंखों में आंसू भी नहीं रखने चाहिए। अगर आप हर समय रोते हैं तो आपके आंसुओं का मोल नहीं रह जाता। लेकिन हां, अपने दिल में आंसुओं का गुबार भी नहीं रखना चाहिए। वैसे भी, जैसे हम खुलकर हंसते हैं, वैसे ही हम खुलकर रो भी सकते हैं। आजकल वर्किंग महिलाओं में यह चीज़ ज़्यादा देखने को मिलती है। वो खुद को बहुत स्ट्रॉन्ग दिखाने की कोशिश करती हैं। इस वजह से कई बार वो अपने मन में बहुत सी भावनाओं को दबाए रखती हैं। वो अंदर ही अंदर घुटती हैं।
अगर आप भी उनमें से हैं जो अपने रोने को रोकते हैं, उसे दबाते हैं — तो इस आदत को छोड़ दें। आप रोकर देखिए — आपका सारा स्ट्रेस दूर हो जाएगा और आप मन में भी एक हल्कापन महसूस करेंगे।