ऐसा तो नहीं कि आपकी मां आजकल कुछ उदास परेशान और बात-बात पर झल्लाने वाली हो गई हैं। ऐसा तो नहीं कि वो जो कभी अपने आंसू आपके सामने कभी नहीं दिखाती थीं उनके आंखों के कोर अब हर बात पर गीले हो जाते हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि बहुत सी बातों को दरगुज़र करने वाली आपकी मां अब शिकायतों का पिटारा खोलकर बैठी रहती हैं। उन्हें छोटी से छोटी बात भी बहुत चुभने लगी है। हो सकता है कि आपकी मां एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम का शिकार हो रही हों। इसे आप एक किस्म का अवसाद कहेंगे तो गलत नहीं होगा।
तो किन महिलाओं को होता है
इस समस्या को समझने के लिए हम एक छोटी सी कहानी को समझते हैं। एक चिड़िया की कहानी को। एक चिड़िया जो बहुत जतन से अपना एक प्यारा सा घोंसला बनाती है। उसमें चिड़ा और चिड़िया अपने बच्चों को पालते हैं, वो उनके लिए दाना लाते हैं। उन्हें उड़ना सिखाते हैं। और वही बच्चे उस घोंसले को छोड़ इस नीले आकाश में अपने जीवन को पाने के लिए निकल जाते हैं। और यह चिड़िया उदास हो जाती है। कहीं ना कहीं यही स्थिति उस मां की भी होती है जिसके बच्चे बड़े होकर अपने सपनों को पाने के लिए दूसरे शहर या दूसरे देश निकल जाते हैं।
और वो खाली घर
आप सोचकर देखिए उस मिडिल क्लास महिला के बारे में जिसकी पूरी दुनिया उसके बच्चे ही होते हैं। वो हर वक्त काम से परेशान होती है। कभी कोई बच्चा स्कूल से आ रहा होता है तो कभी पति टूर पर जा रहे होते हैं। वो झुंझला कर कहती है कि इस घर के काम तो कभी खत्म नहीं होते। अगर मैं नहीं करूं तो पता चल जाएगा सभी को। और एक दिन उस घर में वो स्थिति आ जाती है कि बस वो और उसका पति घर में तन्हाइयों के साथ रहने लगते हैं। उस घर की खामोशियां इस महिला को और भी उदास कर देती हैं।
यह स्वाभाविक है लेकिन
ऐसा नहीं है कि यह महिलाएं नहीं चाहती अपने बच्चों को आगे बढ़ते हुए देखना। बल्कि अगर हम कहें कि आपकी कामयाबी से सबसे ज़्यादा खुश अगर कोई होता है तो वो आपकी मां ही होती है। बच्चों की कामयाबी एक महिला का रिपोर्ट कार्ड है सच में। लेकिन आपकी मां एक छोटे से दिल की भी मालिक है। जब आप अपना घर छोड़कर अपने सपनों को हासिल करने निकल जाते हैं तो आपके जाने से उसके दिल की बस्ती उदास हो जाती है। बहुत बार महिलाएं जब इमोशनली इंडिपेंडेंट होती हैं तो वो खुद को इस चीज़ के लिए मानसिक तौर से तैयार कर लेती हैं। स्वाभाविक सी बात है कि थोड़े दिन तो सभी उदास होते हैं। लेकिन फिर वो खुद को व्यस्त कर लेती हैं। लेकिन बहुत सी महिलाएं इस तरह की स्थिति में खुद से उभर नहीं पातीं। उन्हें लगता है जैसे कि वो रिश्तों में ठगी गईं।
क्या करें आप
एक बार ऐसे ही किसी मां ने मुझे कहा था कि पुराने ज़माने में तो यह बात तय होती थी कि एक वक्त के बाद बेटियां ब्याह कर दूर चली जाती हैं। वो रुख़्सत हो जाती हैं। लेकिन अब तो बेटे भी एक वक्त के बाद अपने करियर और जिंदगी के लिए रुख़्सत हो जाते हैं। जाहिर है कि कोई भी नहीं रुक सकता। लेकिन आप कुछ बातों को अपनाकर अपनी मां को ज़रूर तनाव में आने से रोक सकते हैं। जितना मुमकिन हो आप अपनी मां के पास जाइए या मां को अपने पास लेकर आइए। अपने इतर उनकी एक दुनिया बनाने की कोशिश करिए। उन्हें बताइए कि वो अपने दोस्तों के साथ अपनी दोस्ती को निभा सकती हैं। वो जो आपकी नानी का घर था ना जहां बेशक अब उनकी मां तो नहीं रहती होंगी, लेकिन जो भी उनके रिश्तेदार हैं उन रिश्तों को फिर से जीवंत करवाने की कोशिश करिए। उनसे बात करिए अगर वो रोना चाहती हैं तो उन्हें रोने दीजिए। उन्हें अपनी जिंदगी में शामिल रखिए। अपने ऑफिस की गॉसिप भी आप उन्हें बता सकती हैं। वो धीरे ही सही लेकिन इस प्रोसेस को समझेंगी। बस उन्हें अकेला मत करिए। उन्हें पता होना चाहिए वो आपके लिए कितनी अहमियत रखती हैं। केवल लव यू मां कहने से काम नहीं चलता, उन्हें वो प्यार का अहसास दे दीजिए।