सिबलिंग डिवोर्स या फैमिली डिवोर्स: बीते दिनों सोशल मीडिया पर दिखा नया ट्रेंड

सिबलिंग डिवोर्स या फैमिली डिवोर्स: बीते दिनों सोशल मीडिया पर दिखा नया ट्रेंड

भारत में डिवोर्स एक ऐसा शब्द है जिसे आज भी खुले मन से स्वीकारा नहीं गया है। हालांकि पहले की तुलना में अब देश में डिवोर्स केस ज़्यादा देखने को मिलते हैं। पति-पत्नी के बीच रिश्ते में दरार बढ़ने की वजहें तो बहुत सी हैं दोनों के बीच कम्पैटिबिलिटी की कमी, ससुराल से परेशानियाँ या साथ रहते-रहते भी दूरी बढ़ना। इसके अलावा भी कई वजहें हैं जो आजकल शादी के रिश्ते से निकलने पर मजबूर कर रही हैं।

पहले डिवोर्स शब्द सिर्फ शादी के बंधन को तोड़ने के लिए इस्तेमाल होता रहा है। लेकिन बीते दिनों सोशल मीडिया पर सिबलिंग डिवोर्स या फैमिली डिवोर्स जैसे कुछ घटनाएँ सामने आईं। सिंगर नेहा कक्कड़ की बहन सोनू कक्कड़ ने अपने भाई-बहन से रिश्ते तोड़ने की बात सोशल मीडिया पर साझा की। वहीं कुछ दिनों पहले सिंगर अमान मलिक ने इंस्टाग्राम पर परिवार के साथ रिश्ते तोड़ने से जुड़ा पोस्ट शेयर किया था। हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने वह पोस्ट डिलीट कर दिया था। तो डिवोर्स ने परिवार के एक रिश्ते से आगे अपनी पहुँच बनाना शुरू कर दिया है। आइए जानते हैं, आखिर सिबलिंग डिवोर्स का मतलब क्या है।

क्या है सिबलिंग डिवोर्स’?

पहले भी भाई-भाई के बीच ज़मीन-जायदाद को लेकर मनमुटाव होते रहे हैं। लेकिन भाई-बहन के रिश्ते में खटास कम ही देखने को मिली है। हाल ही में सोनू कक्कड़ के सोशल मीडिया पोस्ट के बाद सिबलिंग डिवोर्स जैसा शब्द सामने आया। इस शब्द को कुछ यूँ बयां किया जा रहा है कि जब भाई-बहन के रिश्ते में दूरियाँ हों या वे भावनात्मक रूप से एक-दूसरे से अलग महसूस करते हैं तो उसे सिबलिंग डिवोर्सकहते हैं। हालांकि ऐसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है, ये बस आजकल के रिश्तों और ट्रेंड को सोशल मीडिया की देन कहा जा सकता है।

क्यों इस रिश्ते में आई ये स्थिति

भाई-बहन का रिश्ता दुनिया में सबसे खास होता है। इस रिश्ते के ज़रिए ही हम दुनिया में सर्वाइवल स्किल्स सीखते हैं। घर में ही अपनी बात मनवाने से लेकर अपनी भाई-बहन से काम करवाने तक हम कम्युनिकेशन स्किल्स डेवलप कर रहे होते हैं। बचपन से ही भाई-बहन के बीच लड़ाई और प्यार का अनोखा बंधन होता है। छोटी-छोटी बातों पर लड़ने से लेकर एक-दूसरे के लिए कुर्बानी देने में भाई-बहन कभी पीछे नहीं हटते।

तो जिस रिश्ते में बचपन से ही एक-दूसरे के लिए प्यार होता है, आज उसमें इतनी खटास कैसे देखने को मिल रही है कि अनजान लोगों के बीच अपने रिश्तों की गाँठें खोलने में भी गुरेज नहीं कर रहे हैं? कहीं इसकी वजह बचपन से घर में होने वाला भेदभाव तो नहीं है? अक्सर घरों में देखने को मिलता है कि किसी एक बच्चे को ज़्यादा महत्व दिया जाता है। हालांकि माता-पिता कहते हैं कि वो बच्चों में भेदभाव नहीं करते और काफी हद तक सच भी है। लेकिन अनजाने में वे बच्चों के बीच फर्क करते हैं। कई बार घर का कोई कमजोर बच्चा ज़्यादा प्यार पाता है तो कई बार ज़्यादा हुनर वाला बच्चा सबका लाडला होता है। ऐसे में इग्नोर होने वाले बच्चे के मन में कुछ खटास पैदा हो जाती है जो कई बार बड़े होने तक रह जाती है। हालांकि इसकी वजह से भाई-बहनों के बीच कभी रिश्ते तोड़ने की नौबत नहीं देखने को मिली है।

क्या करें सिबलिंग डिवोर्स जैसे शब्द को हकीकत बनने से रोकने के लिए

भले ही ये शब्द आज बिना किसी अर्थ के एक या दो घटनाओं के आधार पर सुनने में आया है, लेकिन कहीं ऐसा न हो कि पति-पत्नी के डिवोर्स की तरह इस रिश्ते के बीच भी ये शब्द जगह बना ले। आजकल के दौर में रिश्तों को निभाने के लिए जो धैर्य और दूसरों को समझने की शक्ति चाहिए वो लोगों में कम हो गई है, जिसकी वजह से ज़्यादातर रिश्तों में तनाव देखने को मिल रहा है। ऐसे में बचपन हो या जीवन का कोई भी पड़ाव अगर आपको किसी से कोई समस्या है तो उस बारे में खुलकर बात करें।

सोनू कक्कड़ के केस में तो ये भी कहा जा सकता है कि उन्हें अपने भाई-बहनों जैसी सफलता नहीं मिली, जो शायद उनके रिश्तों में दूरियाँ पैदा करने का एक कारण हो सकता है।तो आपका रिश्ता सफलता और असफलता पर नहीं टिका होना चाहिए। जो अपने जीवन में सफल हो, उसे रिश्तों को सँभालने के लिए थोड़ा ज़्यादा प्रयास करने से ये नौबत नहीं आएगी।भाई-बहन और माता-पिता के साथ रिश्तों में अनबन होना अलग बात है, लेकिन ये वो रिश्ते नहीं हैं जिन्हें आप सिर्फ शब्दों से तोड़ सकें।

परिवार की भी है अहम भूमिका

रिश्तों को मजबूत बनाने में परिवार के सभी सदस्यों की भूमिका होती है, जिसमें पेरेंट्स की सबसे अहम होती है। मां-बाप को ये हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि चाहे बच्चा होनहार हो, टैलेंटेड हो या एवरेज सभी के साथ एक समान व्यवहार करें। पब्लिकली अगर आप एक बच्चे की बड़ाई करते रहेंगे तो दूसरे के मन में हीन भावना पनपेगी, जो बड़े होने पर ऐसी स्थितियों को जन्म दे सकती है। घर के सभी बच्चों को यही सिखाने की कोशिश करें कि चाहे सफल हों या असफल उसका असर उनके रिश्तों पर नहीं पड़ना चाहिए।  खुद आगे बढ़ें और अपने साथ अपनों को भी आगे बढ़ने में मदद करें। अगर ऐसा न भी हो पाए तो हमेशा एक-दूसरे का सपोर्ट करें।

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