रंगों की होली के देश में हैं कितने अलग-अलग रंग

रंगों की होली के देश में हैं कितने अलग-अलग रंग

होली का त्‍यौहार आ गया है। इसकी दस्‍तक से देश भर में हर्ष उल्लास का माहौल बन जाता है। रंगों के इस त्‍यौहार में देश भर में रंगोत्‍सव मनाया जाता है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन यह रंग-बिरंगा त्यौहार खुशी और उल्लास के साथ बसंत के आगमन का प्रतीक भी है। ज्‍यादातर हिस्‍सों में एक दिन पहले होलिका दहन करने के बाद अगले दिन रंग खेलकर त्‍यौहार मनाया जाता है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि होली में भले ही पूरे देश में रंग खेला जाता है, मगर इसे मनाने के तरीके अलग-अलग हैं।

कहीं लठमार तो कहीं होला मोहल्ला, तो कहीं फूलों की होली के रूप में यह त्‍यौहार संस्कृति और परंपराओं का अनूठा संगम है। इस लेख में भारत के विभिन्न क्षेत्रों में होली के नाम और उन्हें मनाने के अनोखे तरीके व अलग परंपराओं के बारे में जानते हैं।

ब्रज की लठमार होली

भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पर मनाई जाने वाली ब्रज की यह होली काफी अनूठी है। यहां रंगों के साथ लाठियों की भी बरसात होती है। महिलाएं लाठियों का इस्तेमाल पुरुषों के साथ होली खेलने के लिए करती हैं। वहीं पुरुष लाठियों से बचने के लिए ढाल का उपयोग करते हैं।

फूलों की होली

मथुरा-वृंदावन में फूलों की होली खेली जाती है। रंगों की जगह फूलों के रंग इस दिन को खास बना देते हैं। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण और राधा की भक्ति के साथ यह उत्सव मनाया जाता है।

पंजाब की होला मोहल्ला

पंजाब में होला मोहल्ला नाम से होली मनाई जाती है। इसे शौर्य और वीरता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन घुड़सवारी, तलवारबाजी और कई अन्‍य कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है। होला मोहल्ला का उत्साह और नजारा आनंदपुर साहिब में अलग ही देखने को मिलता है। कहा जाता है कि इस पर्व को गुरु गोविंद सिंह ने योद्धाओं के प्रशिक्षण के लिए शुरू किया था।

आंध्र प्रदेश में मेदुरू होली

आंध्र प्रदेश में होली को मेदुरू होली के रूप में मनाया जाता है। पारंपरिक संगीत और नृत्य के साथ-साथ एक-दूसरे पर रंग डाले जाते हैं। इस दौरान जुलूस भी निकाला जाता है।

उत्तराखंड में कुमाऊंनी होली

उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में लोग कुमाऊंनी होली मनाते हैं। किसान बुआई के मौसम की शुरुआत इस उत्सव से करते हैं। यह अन्य राज्यों की तरह रंगों के उत्सव की तुलना में एक संगीतमय कार्यक्रम है। होलिका दहन से होली की शुरूआत करते हैं, जिसे चीर के नाम से भी जाना जाता है।

पश्चिम बंगाल की दोल जात्रा वाली होली

पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में होली दोल जात्रा के रूप में मनाई जाती है। इसे दोल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पुरुष और महिलाएं पीले रंग के कपड़े पहनते हैं। महिलाएं बालों में फूल सजाती हैं। संगीत और नृत्य का आयोजन भी किया जाता है। गुलाल लगाकर इस त्योहार को मनाया जाता है।

गोवा में शिग्मो

गोवा में वसंत उत्सव के रूप में होली शिग्मो के नाम से जानी जाती है। रंगों के साथ पारंपरिक लोक गीतों पर सड़कों पर नृत्य किया जाता है। मछुआरों की नौकाओं को रंग-बिरंगे रंगों से सजाया जाता है। शिग्मो को दो भागों में बांटा जाता है - धकतो शिग्मोऔर वाडलो शिग्मो। ग्रामीण क्षेत्रों में किसान धकतो शिग्मो मनाते हैं, जबकि बाकी सभी लोग होली के रूप में वाडलो शिग्मो मनाते हैं।

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