सिनेमा समाज का आईना होता है। ये कई बार सुना है लेकिन बहुत कम फिल्में ही समाज के किसी पहलू को सामने लेकर आती हैं। जब भी ऐसा कभी होता है तो वो फिल्म चर्चा का विषय बन जाती है। ऐसा ही हुआ है हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म मिसेज़ के साथ। एक आम सी कहानी जो लगभग हर दूसरी भारतीय महिला को अपनी सी लगी। इस कहानी ने लोगों के बीच बहस छोड़ दी है। जहां महिलाएं खुद को या किसी अपने को इस कहानी से कोरिलेट कर रही हैं। वहीं पुरुष इस पर बहस कर रहे हैं कि ये कोई बड़ी बात नहीं है। कोई अपनी दादी-नानी और मां को बाहर के कामों के साथ घर के काम करते हुए खुश रहने की दुहाई दे रहा है। तो कोई फेमिनिज्म के नाम पर कुछ भी न दिखाने की बात कर रहा है।
महिलाएं भी इस बहस में पीछे नहीं हैं। महिलाएं इसके पक्ष में अपनी बात कह रही हैं। उनके हिसाब से मुद्दा घर के काम नहीं है। मुद्दा है उन कामों के लिए कोई सराहना न मिलने के साथ आलोचना। अपनी चॉइस को खत्म करने के बाद घुट-घुट कर जीना। रिश्ते में बाहर जाकर काम करने वाले का घर में रहने वाले साथी को न समझना। खैर इस फिल्म ने सबको बहस करने के कई मुद्दे तो दे दिए हैं। लेकिन इसका समाधान क्या है? क्या आपने कभी सोचा है? अगर नहीं तो चलिए इस बारे में कुछ बात करते हैं। अब ये तो पता नहीं कि आपके आस-पास कोई स्त्री खुद को इस फिल्म से कोरिलेट कर रही है या नहीं। लेकिन अगर ऐसा है तो आप उनकी जिंदगी की इन छोटी-छोटी समस्याओं को बड़ा होने से बचा सकते हैं।
कभी उसकी भी पसंद का हो सकता है
मिसेज़ फिल्म में एक सीन में दिखाया गया है जहां सान्या अपने पति से कहती हैं कि उन्हें बाहर का खाना और कसाटा आइसक्रीम पसंद है। इस पर उनका पति कहता है कि "मुझे तो घर का खाना ही पसंद है।" तो यहां समझने की बात ये है कि आप अपनी पसंद का खाना रोज़ खाते हैं। तो महीने में एक दिन उसकी पसंद का भी ध्यान रख सकते हैं।
उन्हें थोड़ा समय देना भी ज़रूरी
‘मिसेज़’ में दिखाया जाता है कि शादी के बाद पहले तो सान्या के पति उसके साथ सुबह चाय पीने के लिए उतावले हैं। लेकिन फिर काम में व्यस्त होने की वजह से उसके साथ चाय तो दूर दो मिनट का समय बिताना भी मुश्किल होता है। काम की वजह से ऐसा होना लाजमी है लेकिन आपको समझना होगा जैसे अपने फ्यूचर के लिए आप वर्कप्लेस पर समय दे रहे हैं। ठीक उसी तरह रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए आपको समय देना होगा। एक कप चाय, कॉफी, साथ खाना खाने में इतना भी समय नहीं लगेगा कि आपका ऑफिस का काम उसकी वजह से बिगड़ जाए।
कहीं नए माहौल में वे असहज तो नहीं
जब भी शादी के बाद कोई लड़की नए घर में आती है। तो सबसे पहले उसके सामने बड़ी चुनौती आती है उस घर के नियम और रहन-सहन में ढलना। आपके घर में जो भी सालों से नियम हैं, उससे वो बिल्कुल अनजान और अलग हैं। आप उन्हें जैसी वे हैं वैसे रहने के साथ अपने घर में ढलने में मदद कर सकते हैं। सदियों से समाज में बदलाव होते ही रहे हैं। फिर चाहे वो रहन-सहन के तरीके हों या घर-परिवार की रचना। तो अपने घर में आए नए सदस्य के लिए थोड़ा आप और आपका परिवार भी उसे रहन-सहन को थोड़ी जगह दे सकते हैं।
उसके हाथों के स्वाद की भी तारीफ कर सकते हैं
आपके घर में माँ के खाने का स्वाद सभी को ज़रूर भाता होगा। लेकिन ज़रूरी नहीं जिस तरह का खाना आपकी माँ बनाती हैं, आपकी पत्नी भी वैसा ही खाना बनाए। हर किसी के हाथ का स्वाद अलग होता है। साथ ही आपकी जीवनसाथी के साथ उसके घर का स्वाद भी आया है। तो वो अगर पूरे दिल से घर वालों के लिए खाना बना रही है, इसके लिए थोड़ी तारीफ करने में कोई गुरेज़ नहीं है। स्वाद की नहीं तो उसकी मेहनत को ध्यान में रखते हुए तारीफ कर सकते हैं।
सपने छोटे या बड़े नहीं
आपकी पत्नी कोई जॉब करती है या नहीं। ये बात मायने नहीं रखती। लेकिन अगर वो अपनी लाइफ में कुछ करना चाहती है। भले ही वो कोई भी काम हो वो उसकी पसंद है। उसके सपने आपके जितने बड़े हों ज़रूरी नहीं। किसी के पास कोई डिग्री नहीं हो तो भी वो कुछ करने की चाहत रख सकता है। फिर चाहे वो कुकिंग क्लासेज़ से क्लाउड किचन चलाने की बात हो या अपनी किसी स्किल के जरिए आत्मनिर्भर बनने की चाह। उनके सपने उनके हैं और उन्हें पूरा करने में आप मदद कर सकते हैं।