अमूमन शादीशुदा कपल्स एक दूसरे को प्यार करते हैं, लेकिन इज़हार के मामले में अक्सर पति हमेशा पीछे रह जाते हैं। ऐसे ही एक पति का वैलेंटाइन डे पर किस्सा सुनिए जो बेचारा वैलेंटाइन डे की चकाचौंध से परेशान है। उसे लग रहा है कि भाई वैलेंटाइन डे तो वह मना नहीं सकता। लेकिन इससे कहीं ऐसा तो नहीं हो जाएगा कि उसकी पत्नी यह समझ ले कि "इन्होंने तो मेरे साथ वैलेंटाइन डे नहीं मनाया... इन्हें कहां है मेरे लिए फुर्सत"
भाई साहब आपको एक बात बताता हूं।
यह आजकल इंटरनेट पर चाहे मैं रील्स देख रहा हूं या कुछ कुकिंग से संबंधित व्लॉग। जिधर देखो उधर बस वैलेंटाइन डे का ही बोलबाला नज़र आ रहा है। रोमांटिक रील्स में जहां पति अपनी पत्नी को फूलों का गुलदस्ता और चॉकलेट देता नज़र आ रहा है, वहीं कुकिंग के वीडियो में हार्ट शेप के बहुत से फूड आइटम नज़र से सजे आ रहे हैं। अब भई मैं इतने भी पुराने ज़माने का नहीं हूं कि मुझे नहीं पता कि वैलेंटाइन डे क्या होता है। बस बात दरअसल यह है कि हमने कभी इसे सेलिब्रेट नहीं किया। हमें बहुत अच्छे से पता है कि एक संत थे वैलेंटाइन। उनकी याद में लोग इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं। लेकिन अगर कोई इस दिन को सेलिब्रेट ना करना चाहे तो ऐसा लगता है कि भई हमें तो जैसे अपनी लुगाई से लगाव ही नहीं है।
गुलाब ही गुलाब
भाई ऐसा है कि वैलेंटाइन डे के इस मौके पर लाल गुलाब ने भी मौके पर चौका मार लिया। अब हर जगह जब गुलाब ही गुलाब नज़र आ रहे थे तो सोचा चलो कीमत ही पूछकर देख लेते हैं। अपन लेने का मन बना भी लेते लेकिन इसकी कीमत ने मन को ही बदल दिया। दस रुपए की एक कली जो अमूमन बीस रुपए में मिल जाती है, वो इस वक्त 100 रुपए की हो गई है। अब आप ही बताइए साहब कि एक दिन के वैलेंटाइन के पीछे मैं वो चीज़ थोड़ी ना ले लूंगा जो अपने दाम से कई गुना पर बिक रही है। एक बजट है साहब। अब वो भी सिर्फ एक फूल के लिए हिला दें, जिसने कल मुरझा ही जाना है। कौन सा 100 रुपए की कली दस दिन चल जाएगी। वैसे भी किस डॉक्टर ने कहा है कि 20 की 100 में खरीदें? चलो डॉक्टर की छोड़कर दिल की मानकर ले लें भी तो कौन सा कली पर पहाड़ टूट पड़ेगा और वो एक की जगह पांच दिन चलेगी। और जो सुबह सब्ज़ी के साथ धनिया लाना भूल गया था, वो मेरी बीवी को याद नहीं रहेगा। रहने दो भाई, 100 रुपए के गुलाब की जगह 100 रुपए के छोले भटूरे ले चलूंगा।
पत्नी को पसंद नहीं है चॉकलेट
वैलेंटाइन डे में एक और चीज़ जो वैलेंटाइन डे की पहचान बन चुकी है, वो है चॉकलेट। ऐसा लगता है कि अगर आप सेलिब्रेशन करने का सोचें तो चॉकलेट से ही आपको श्रीगणेश करना है। लेकिन सर एक बात बताऊं। हमारी जो मैडम हैं ना, उन्हें चॉकलेट बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती। उन्हें लगता है यह तो बच्चों की चीज़ है। और गर उन्हें जबरदस्ती खिला भी दो तो उन्हें मज़ा नहीं आता। कुछ कड़वी सी लगती है। अब मैं सोचता हूं कि रोमांटिक बनने से अच्छा लिबरल बनना रहेगा। नहीं नहीं, आप ऐसा बिल्कुल भी ना सोचें कि मैं पैसे बचाने की सोच रहा हूं। मेरे पास चॉइस नहीं है। मैं चाहकर भी उनका टेस्ट नहीं बदल सकता।
तो फिर करते हैं वो जो चाहती हैं वो
तो भई ऐसा है कि अपन तो अपने ही अंदाज़ में ज़िंदगी बिताते हैं। शादी को 15 साल हो चुके हैं। ज़िंदगी कभी खट्टी, कभी मीठी बीत ही रही है। बिना एक बार भी वैलेंटाइन डे सेलिब्रेट किए कभी वैलेंटाइन डे जैसा रोमांस हमारे जीवन में आता है तो कभी वो रूठ जाती हैं तो कभी हम। हां, एक और गुण जो मेरी पत्नी में है, वो है उसका प्रैक्टिकल होना। एक बार मैं अपनी पसंद की साड़ी उनके लिए लेकर आया था, पसंद तो बहुत आई थी। लेकिन उसकी कीमत सुनकर कह दिया "देखो जी, आइंदा तुम ये सरप्राइज़ वरप्राइज़ मत देना। यह साड़ी इतनी कीमत की नहीं है। दुकानदार ने तुम्हें बेवकूफ बना दिया।" बस तब से हम अपनी समझदार बीवी के कायल हैं। ऐसे में आप समझ ही चुके होंगे कि सरप्राइज़ एलिमेंट भी हमारी लवलाइफ में काम नहीं करता।
अब आप ही लोग तय करिए कि इस तरह की स्थिति में मैं भला कैसे वैलेंटाइन डे मना सकता हूं?