सुनो चाय....इश्क़ हो तुम

सुनो चाय....इश्क़ हो तुम

चाय के बारे में कभी आपने सोचा है कि इसका और आपका क्या रिश्ता है। जब पुराने दोस्त मिलते हैं तो अपनी खुशबू के साथ बातों की महफ़िल में चार चांद लगाती है चाय। सर्दियों में जब कोहरे से छिपने के लिए हम अपने हाथों को भी जेब में छिपा लेते हैं तो अदरक वाली गर्म चाय का प्याला हमें सर्द मौसम में राहत तो देता ही है लेकिन वो गर्म चाय की प्याली आपकी उंगलियों को भी मोहब्बत से सेंकने का हुनर बखूबी जानती है। यह दोस्तों की यारी है, सहेलियों का राज़ है तो अकेलेपन की भी एक खूबसूरत साथी। तो चलिए आज गर्म मौसम में इस चाय की खूबियों पर ज़रा ग़ौर फरमाते हैं।

हमारी तरह मिडिल क्लास

हम मिडिल क्लास लोगों की ज़िंदगी में एडवेंचर कम नहीं होता। और चाय भी अपने मिडिल क्लास अंदाज़ के साथ जीने का हुनर बखूबी जानती है। वो जानती है कि उसका यही अल्हड़ अंदाज़ उसका यूएसपी है। कुल्हड़ में सांवली सलौनी से यह चाय बिना मेकअप की वो खूबसूरत सी लड़की लगती है जो आँखों में बहुत से सपने और अरमान लिए होती है। यह चाय आवारा अल्हड़ है। तभी तो रोड साइड पर किसी ठीये पर यह शान से बैठी मुस्कुराती है। और अगर आपके कड़की के दिन चल रहे हों तो कटिंग चाय का अपना एक तजुर्बा है।

यह बातों की साथी है

वो लोग जो बहुत बातें करते हैं आपने अक्सर नोट किया होगा कि वो चाय बहुत पीते हैं। कभी न खत्म होने वाली उन बातों में भी यह गर्माहट घोलती रहती है। इसका हर एक सिप आपको एनर्जी देता है। लोगों को जोड़ने का एक ज़रिया भी तो है चाय। तभी तो अक्सर लोग कहते नज़र आते हैं- आओ ना चाय पीने चलते हैं। अरे बैठो, चाय पीकर जाना। इतना ही नहीं, घर में मेहमान का वेलकम इस चाय के साथ ही तो होता है। यानी घर की इज़्ज़त भी है यह चाय।

मिज़ाज थोड़ा सिंपल है

अगर हम चाय की बात करेंगे तो कॉफी का ज़िक्र भी आएगा ही आएगा। यह कॉफी की बहन है लेकिन इसका अंदाज़ उसके कुछ जुदा है। कॉफी के साथ में कुकीज़ हैं, कैफेटेरिया है, एक कल्चर है लेकिन चाय वो तो आज भी ऑफिसों के बाहर किसी पुराने स्टोव पर एक भगोने में अपनी महक से आपको पास बुलाने का हुनर जानती है। अगर आप दिल से चाय लवर हैं तो जानते ही होंगे कि जब अदरक को कूटकर इसमें डाला जाता है और इसे डालने के बाद उबाल आता है तो वही वो खुशबू होती है जो फिजा में एक जादू भर देती है। यह खुशबू एक चाय प्रेमी को अपनी ओर खींच लेती है।

मौसम की साथी

यह हर मौसम को पसंद करती है। बारिश जब बरसती है तो चाय पकौड़ों को अपने साथ में लाती है। वहीं सर्दियों में अदरक वाली मसाला चाय का अपना एक आनंद है। घरों में अक्सर शाम को यह बिस्कुट की साथी बनती है। पारले जी से कुछ गहरी दोस्ती है इसकी। चाय में पारले जी को डुबोकर खाने वाले लोग इसकी शरारत को जानते हैं। कभी-कभी जब चाय में बिस्कुट डूब जाता है तो इसका भी चाय में अपना एक मज़ा आता है। हां, वक़्त के साथ इसने अपने आपको भी बदल लिया। अब ब्लैक टी, लेमन टी और ग्रीन टी जैसे नए रूपों में भी यह सुहानी नज़र आती है। यह इस बात को भी बताती है कि वक़्त के साथ जो बदल गया, वो जीत गया।

मर्ज़ की दवा भी है चाय

यह खौलती हुई चाय अकेलेपन की साथी है। उदासी को दूर करने का ज़रिया है। वहीं दवा का काम भी कर देती है कभी-कभी। अगर सिर दर्द हो रहा है तो चाय पी लो। बुखार है तो चाय पी लो, थक गए हो तो चाय पी लो। मूड कुछ खराब है तो चाय पी लो। सोचिए ज़रा यह चाय कोई जादूगर तो नहीं। खैर, मेरे लिए तो यह किसी सहेली से कम नहीं। इसका हर घूंट मुझे अपनापन लगता है।

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