क्या आपको टेलीफोन का वो दौर याद है, जब घरों में नया नया फोन लगता था। फोन पर दूर-दराज के रिश्तेदारों से उनके हालचाल पता करने की खुशी से लेकर घंटों लोगों से बातें करने का वो दौर। फोन ने अपनों के हालचाल जानने के लिए चिट्ठियों के सिलसिले को कम कर इंतजार के समय को घटा दिया। अब जब चाहें तब दूर-दराज बैठे रिश्तेदारों से बात कर सकते थे। फोन ऐसा जरिया बनकर सामने आया जिसने दूरियों को कम करने का काम किया। लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे संचार के इस माध्यम ने नया रूप लेना शुरू किया, उसके साथ ही इसका काम भी बदलता गया। दूर-दराज के लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने वाले इस माध्यम ने आसपास के लोगों के बीच ही दूरी बढ़ाने का काम शुरू कर दिया। फोन पर एक-दूसरे से जुड़ने के लिए कई ऐप्स होने के बाद भी बातों का दायरा सिमटता जा रहा है। हाल ही में एक ऐप के फीचर ने सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर संचार का ये माध्यम हमें किस तरफ ले जा रहा है।
कॉल, मैसेज से अब ईमोजी पर सिमट कर रह गई हैं बातें
फोन भले ही लोगों के बीच संचार का माध्यम बनकर आया था। वो दौर बेहद खूबसूरत भी था, जब दोस्तों से बातें करने के लिए बड़ों से छुपकर बातें करते थे। अपनों की दूर से आवाज सुनना बेहद सुखद अनुभव हुआ करता था। जब फोन ने मोबाइल की शक्ल अख्तियार की तो बातों के माध्यम में मैसेज ने अलग जगह बना ली। जिनके पास बात करने के लिए टॉक टाइम नहीं होता, वे मैसेज के जरिए बातें करते। फिर मोबाइल में जगह बनाई सोशल मीडिया ऐप्स और मैसेजिंग ऐप्स ने। जिनके जरिए अपनों के साथ अनजान लोगों से जुड़कर बातें करने का मौका आया। लेकिन इन ऐप्स ने बातों के सिलसिले को अब कस्टमाइज कर ईमोजी तक सीमित कर दिया है। पहले जो माध्यम बातों का जरिया बना, वो अब बातों को खत्म करने का भी जरिया बन रहा है। जहां पहले लोगों का मैसेज देख उनके मन की बातें कम से कम उनकी आवाज कानों में गूंज जाती थीं और कम से कम मैसेज के जरिए ही कुछ बातें हो जाती थीं। लेकिन अब किसी भी बात पर ईमोजी के आने के बाद बात आगे नहीं बढ़ती, बात खत्म ही हो जाती है। जो बात अब अखरती है वो है कि आपस में जुड़ने के माध्यम अब सिमटते जा रहे हैं।
दूर तो छोड़ो पास बैठे लोगों को भी दूर कर रहा है
माध्यम बात करने का था, लेकिन अब वो लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। इसका अलग ही रिश्ता बन गया है, जिसने लोगों के जीवन से असल रिश्तों को दूर करना शुरू कर दिया है। अब तो नौबत ये आ गई है कि लोग पास में बैठे रहते हैं और आपस में बात करने की बजाय अपने इस नए साथी के साथ व्यस्त रहते हैं। इस बात को सभी जानते हैं कि ये अब रिश्तों के बीच आ रहा है। लेकिन जानने के बाद भी अब इसका इतना प्रभाव है कि इसके जाल से बचना मुश्किल हो रहा है। दूर बैठे लोगों को जोड़ने का माध्यम रिश्तों में दूरियां बढ़ाने का काम करने लगा है।
बातों की जगह लाइक्स तक सीमित हो गया है संवाद
आज के समय में फोन के साथ सोशल मीडिया अकाउंट का नाता बहुत गहरा हो गया है। अपनी निजी जिंदगी से जुड़ा कंटेंट हो या पैसा कमाने के लिए कंटेंट क्रिएट करना जीवन का हिस्सा बन गया है। जहां बातों की गुंजाइश हुआ करती थी, वहां अब दिखावे की दुनिया ने ले ली है। किसी को किसी से बात करने में दिलचस्पी ही नहीं रह गई है। लोगों को बस फोन की इस नई दुनिया में लाइक्स मिलने की चाहत बढ़ती जा रही है। आज हालत ये है कि बच्चे हों या बड़े, सभी के पास बातें करने के लिए कुछ होता ही नहीं है।
किसी ने सोचा भी नहीं था कि जो फोन जीवन में दूर बैठे लोगों को जोड़ने का काम कर रहा था, वो कभी साथ रहने वालों के रिश्तों में दूरियों की वजह भी बन सकता है।