बधाई हो भई मुझे, आपको और हम सभी हिंदुस्तानियों को, जिनके लिए टीम इंडिया ने चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम कर ली है। हम सब लोग बहुत खुश हैं। कितनी ही बार हमने रील में भी देखा कि किस तरह दुबई के बुर्ज खलीफा पर हमारा राष्ट्रगान सुनाई दिया। वाकई यह जीत हमारी है। और यहां यह कहना भी गलत नहीं होगा कि भई हम भारत के लोग क्रिकेट को लेकर थोड़ा सेंटीमेंटल हो ही जाते हैं। अगर हमारी भारतीय क्रिकेट टीम कोई ट्रॉफी लेकर आती है तो हमें लगता है वो कोई खेल नहीं, बल्कि किसी जंग में जीतकर लौटी है। लेकिन चैंपियंस ट्रॉफी जश्न तो लेकर आई है, साथ ही ज़िंदगी का एक महत्वपूर्ण सबक भी सिखाकर चली गई।
इस जीत ने यह बता दिया कि किसी के होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। आप जब तक होते हो, तभी तक आप होते हैं। आपकी चर्चा होती है, आपकी अहमियत होती है। ऐसा लगता है कि जैसे आप नहीं होंगे तो वो चीज़ नहीं हो पाएगी। लेकिन जनाब, आप जसप्रीत बुमराह, जिन्हें बूम बूम बुमराह भी कहा जाता है, से सीख सकते हैं। भारत के यह वो तेज़ गेंदबाज़ हैं, जिनके बिना बॉलिंग की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
अब होगा क्या?
जब चैंपियंस ट्रॉफी शुरू होने वाली थी, उस वक्त इस बात की चर्चा थी कि इस बार चैंपियंस ट्रॉफी में क्या होगा। बुमराह के बिना इंडिया किस तरह से इस ट्रॉफी में अपनी दावेदारी प्रस्तुत करेगी? लेकिन सच यह है कि किसी के होने या ना होने से फर्क नहीं पड़ता। बुमराह के बिना भी एक नई स्ट्रेटेजी के साथ इंडियन टीम मैदान में उतरी और लगातार अच्छा प्रदर्शन करते हुए फाइनल तक अपनी जगह बनाने में कामयाब रही। और फिर वो हुआ जो इतिहास में लिख दिया गया।
जी हां, हमारा भारत चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम करने में कामयाब रहा। इस जीत का सेहरा विराट कोहली, रोहित शर्मा और पूरी भारतीय टीम के नाम है। पूरे 12 साल के इंतज़ार के बाद यह ट्रॉफी वापिस आई है। लेकिन इस जीत में आप हैरान होंगे कि कोई जसप्रीत की बात नहीं कर रहा।
कुछ भी नहीं है!
ऐसा नहीं है कि जसप्रीत को लेकर कोई नेगेटिव बात हो रही है। कुछ फिटनेस इशू की वजह से जसप्रीत इस बार की ट्रॉफी में हिस्सा नहीं ले पाए थे। उनका टीम में शामिल नहीं हो पाना एक बड़ा झटका था, लेकिन वो कहते हैं ना - द शो मस्ट गो ऑन! उनसे पहले भी मैच खेले जा रहे थे और उनके बिना भी ना केवल मैच खेला गया, बल्कि वो जीत भी हासिल हो गई, जिसका अनुमान लगाना भी मुश्किल लग रहा था।
हम यहां जसप्रीत के बारे में कोई जजमेंट पास नहीं कर रहे, बल्कि जसप्रीत के ज़रिए आपको ज़िंदगी का आईना दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। आज जसप्रीत की कोई चर्चा ही नहीं है। चर्चा है तो बस जीत की!
मैं अहम था, यह वहम था!
आप इस बात के ज़रिए खुद के बारे में सोचिए और आंकलन कीजिए। आप अपने आसपास के लोगों के जीवन में बहुत अहमियत रखते होंगे। आपको लगता होगा कि आपके अंदर बहुत कौशल है। आप बहुत समझदार हैं। अगर आप ना हों तो आपके बिना पत्ता भी नहीं हिलेगा। लेकिन इस खुशफहमी से बाहर आ जाइए। आप अपने जीवन में जिस भी स्थान पर हैं, अपनी ज़िम्मेदारी निभाइए। लेकिन इस खुशफहमी का चोला उतारकर फेंक दीजिए कि अगर आप नहीं होंगे तो कुछ हो नहीं सकता। आपकी अहमियत तब तक है, जब तक आप हैं। बाकी यह दुनिया आदि काल से चल रही है और अनंत काल तक चलेगी। मुझ जैसे और आप जैसे लोग तो आते-जाते रहेंगे।
वो एहसास होगा
जिस दिन आप इस बात को समझ जाएंगे, आपको एहसास होगा कि ज़िंदगी कितनी सरल है। आपको अपनी हस्ती का भी एहसास होगा कि इस बड़ी सी दुनिया में आपके वजूद के मायने कुछ भी नहीं हैं। हां, ऐसा नहीं है कि आप ज़िंदगी को जीना छोड़ दें या अपनी ज़िम्मेदारी ना निभाएं। आप जो भी काम कर रहे हैं, उसमें अपना बेस्ट दीजिए। लेकिन अपने वजूद की अहमियत का एहसास भी अपने अंदर रखिए। आप देखेंगे कि आपकी पर्सनैलिटी में भी सकारात्मक बदलाव आएंगे। इंडिया की इस जीत के ज़रिए आप ज़िंदगी की इस हकीकत को बहुत आराम से समझ सकते हैं।
इस पोस्ट को थोड़े वक्त बाद लिखने का मकसद भी यही है कि इस जश्न के बाद आप इस जीत के ज़रिए उस फलसफे को समझें, जो आपको ज़िंदगी की हकीकत से रुबरू करवा दे। बाकी रही बात ज़िंदगी को जीने की, तो इसे "लार्जर दैन लाइफ" जीने की कोशिश करें। खूब खुश रहें और अपने आस-पास खुशियां बांटें। बस, अहंकार को अपने आस-पास भी फटकने ना दें। ऐसा इसलिए क्योंकि अब तो आप जान ही चुके होंगे कि आप क्या हैं…!