इस आर्टिकल की हैडिंग पढ़कर आप कतई यह ना समझ लेना कि हम आपको मोदी जी या उनकी पार्टी को लेकर कुछ ज्ञान देने वाले हैं। यह आर्टिकल किसी भी राजनीतिक पार्टी से प्रेरित नहीं है बल्कि यह आपके जीवन में आने वाली दुविधाओं के निराकरण और उनके हल को लेकर है। तो बात यह है कि हमें बहुत शिकायत होती है न अपने आस की दुनिया से। हमें लगता है कि फलां आदमी हमारे सामने ही हमारी बुराई कर देते हैं, हमें कुछ समझते ही नहीं हैं। हमारी तो कोई वैल्यू ही नहीं है। लेकिन बीते दिनों संसद में जो कुछ हुआ वह एक मानव जीवन के लिए बहुत ही शिक्षाप्रद है। आप इस समय भूल जाइए कि आप किस पार्टी को सपोर्ट कर रहे हैं या नहीं। आप किसको जिताना चाहते हैं, आप किसको नहीं जिताना चाहते। इन सभी बातों को भूल जाइए। इस आर्टिकल में आपके समक्ष सिर्फ इस बात को रखा जा रहा है कि इस दुनिया में क्या-क्या रंग हैं।
आपने देखा होगा कि पिछले दिनों सदन में एक मामला चर्चा में आया था और उसने खूब सुर्खियां भी बटोरी थीं। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में आए और जैसे ही वह आए उनके सामने नारे लगने लगे—“वोट चोर, कुर्सी छोड़।” हमें नहीं पता, न हम इसकी गहराई में जा रहे कि यह क्या मैटर है, लेकिन आप और हमें जो बात सीखनी है, अपनी जिंदगी के अंदर जिसको अपनाना है, वह यह है कि आप उस आदमी का पावर देखिए कि वह इस देश का 144 करोड़ लोगों का चुना हुआ प्रधानमंत्री है। उनको भी अपने कानों से यह सुनना पड़ा, अपने लिए ऐसी बातें, और उन्होंने न तो किसी तरह का कोई अपने चेहरे से हाव-भाव प्रकट किया और न ही इससे नाराज होकर लौटते दिखे। वह आए और उन्होंने अपने स्थान जहां ग्रहण करना था, उसे ग्रहण किया।
शिकायत मत करिएगा
अब बात है हमारे समझने की कि हम लोग अक्सर यह शिकायतें करते हैं कि—“वह देखो, हमें ऐसा कह दिया, उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए था। हमारी तो कोई इज्जत ही नहीं।” हम तो कमजोर हैं न, इसलिए बोल देते हैं। हम पैसों से कमज़ोर हैं इसलिए बोल देते हैं। हम छोटे हैं इसलिए सुना देते हैं। हमारे पास तो बाप-दादा का कोई पैसा भी नहीं है। कहने का मतलब है कि हमारे पास अनगिनत बातें होती हैं। हम इन्हीं क्रम में दी जा रही चीजों को लिए जा रहे हैं, उनसे ऑफेंड हो रहे हैं। अब इस तरह की बातों से हम मानसिक तौर पर भी तनाव में रहते हैं। यह तनाव हमारे प्रियजनों के ऊपर भी आ जाता है और हम कई बार इन चीजों से इतने निराश हो जाते हैं कि कभी रिश्ते तोड़ लेते हैं, कभी कहीं नहीं जाने की कसमें खा लेते हैं, कभी मिलने की कसम खा लेते हैं कि अब मिलेंगे नहीं। कभी कोई नैरेटिव अपने दिमाग में सेट कर लेते हैं। लेकिन आज अगर आप इस चीज को देखेंगे तो पाएंगे कि एक इतना पावरफुल आदमी को भी बातों से होकर गुजरना पड़ता है।
आप छोटे नहीं हो जाते
यह दुनिया है, यह दुनिया हमेशा रहती है। यह वही लोग हैं। आप यह कहें कि—“नहीं, यह तो विपक्ष है, यह ऐसा है।” यह सब 572 लोग पूरे देश से चुने हुए प्रतिनिधि हैं। आप देखते होंगे प्रायः कि यह एक-दूसरे के साथ हंसी-मजाक करते हुए, बात करते हुए भी नज़र आते हैं। कभी-कभी तो लगता है कि यह सब मिले हुए भी हैं। इनके ऐसे फोटो भी पब्लिक डोमेन में आते हैं। और जब उनके खुद के हितों की कोई बात होती है तो भी एक साथ खड़े होते हैं। जब देश की कोई बात खड़ी होती है तो भी देखा गया कि यह एक साथ खड़े होते हैं। लेकिन जब मौका मिलता है तो यह कैसे-कैसे नारे लगाते हैं, यह आप भी देख सकते हैं। तो इसीलिए जिंदगी में इस बात को गांठ बांध लीजिए कि आपके किसी भी तरह के रुतबे के काम होने से, पैसों के काम होने से, आपकी शरीर के बनावट के कमजोर होने से या आपके रंग काला होने से लोगों को किसी भी तरह से आपके छोटे होने का कोई मतलब नहीं है। बड़े से बड़ा आदमी भी इन्हीं सब चीजों से होकर गुजरता है।
यह सभी के साथ है
जितना आप अपने आप को सोचते हैं कि—“नहीं, ऐसा हो गया मेरे साथ।” तो इसीलिए आप सब अपने जीवन में इस बात को गांठ बांध लीजिए कि जिस तरह से आज एक सर्वोच्च पद पर बैठा एक शक्तिशाली आदमी भी अपने काम करने के लिए चुपचाप चीजों को इग्नोर करते हुए चला गया, वैसे ही आप भी अपनी जिंदगी में नेगेटिव चीजों को इग्नोर करते हुए आगे बढ़ें। आज से ही आप अपने लुक को, अपने आकार को, अपने रंग को कोसना बंद करें। जब ज्यादा लोगों की बात से टेंशन हो जाए तो मोबाइल में गाना लगा लें—“कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना।” इसे गुनगुनाएं और मस्त हो जाएं।