आपकी जिंदगी की कहानी, आप तय करेंगे कैसी होनी चाहिए

आपकी जिंदगी की कहानी, आप तय करेंगे कैसी होनी चाहिए

हम सभी जानते हैं कि यह ज़िंदगी हमें एक बार मिलती है। वैसे भी एक स्क्रिप्ट राइटिंग वर्कशॉप में 'डेढ़ इश्क़िया', 'नोटबुक' जैसी मूवीज़ की स्क्रिप्ट लिख चुके दाराब फ़ारूकी ने कहा था कि हर इंसान के पास अपनी एक कहानी मौजूद है। वो उस कहानी को कैसे जीता है, यह बहुत कुछ उस पर डिपेंड करता है। इस बात ने मुझे कहीं ना कहीं सोचने को मजबूर किया। अगर हकीकत में देखा जाए तो यह बात सच है कि बचपन में तो नहीं लेकिन बड़े होने के बाद हम अपनी कहानी कैसे लिख रहे हैं, यह कहीं ना कहीं हम पर ही तो डिपेंड करता है।

विक्की कौशल से सीखें कला

एक बार एक इंटरव्यू में विक्की कौशल ने बताया था कि बचपन में उन्होंने अपने पिता से पिटाई बहुत खाई है। लेकिन इस बात को बताने का अंदाज़ उनका इतना प्यारा था कि वो इस बात को याद करके वो खुद भी हंस रहे थे और ऑडियंस भी इस बात का भरपूर मज़ा ले रही थी। उन्होंने कहा कि अपनी मां से तो मैं आज भी पिट जाता हूं लेकिन पापा की पिटाई वो एनुअल इवेंट की तरह होती और उसकी डोज़ पूरे साल का कोटा पूरा कर देती थी। मोहल्ले में सभी को पता चल जाता था कि कुटाई हुई है। आप भी इस बात को पढ़कर मुस्कुरा रहे होंगे। अब सोचिए इस बात को कि एक बच्चा अपने पेरेंट्स से खूब पिटा है लेकिन उसने इस चीज़ को दुख नहीं, ह्यूमर बना दिया। यही होता है आपका किसी चीज़ को देखने का अंदाज़।

आप दुखियारे रह सकते हैं

आपने भी अपने आस-पास लोगों को देखा होगा। कुछ लोगों के पास दुखों को देखने के अलावा कुछ और होता नहीं। वहीं कुछ लोग हर चीज़ में जीना और बहुत खुशी से जीना जानते हैं। जैसे आप कुछ महिलाओं को देख सकते हैं, वो आज में नहीं जीतीं। उनके पास पुराने दुखों की एक पूरी लिस्ट होती है कि कैसे जब वो शादी करके आई थीं तो उन्होंने पांच किलो आटे की पूरी और तीन किलो आलू बनाए थे। मैं मानती हूं कि उस वक्त जो हुआ होगा वो ग़लत हुआ होगा लेकिन उस बात को बार-बार याद करके खुद को दुखी रखना कहां की समझदारी है?

याद है बिजली जाना

आज के ज़माने में तो नहीं लेकिन हां, पहले छोटे-बड़े हर शहर में लाइट जाना एक आम बात हुआ करती थी। उस वक्त जब लाइट जाया करती थी तो कुछ लोग लाइट कब आएगी यह सोचा करते थे तो कुछ लोग लाइट जाने के बाद अंताक्षरी खेलकर कैंडल लाइट डिनर कर उस मोमेंट को एंजॉयफुल बनाते थे। हम लोग भी ऐसे ही अंताक्षरी खेला करते थे।

यह ज़िंदगी है आपकी

आप सोचें कि कल को जब आप ज़िंदगी की शाम में पीछे मुड़कर देखेंगे तो आप इसे कैसे देखना चाहते हैं। आप खुद सोचिए कि आप वो कौन से और किस तरह के किस्से सुनाना चाहते हैं? अगर आपको लगता है कि आपकी ज़िंदगी की कहानी मज़ेदार और चटकारेदार होनी चाहिए तो इस पर काम करना आज ही से शुरू कर दीजिए।

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