फिल्म जगत में आज भी एक्ट्रेसेज को कुछ तय पैमानों पर मिलता है काम

फिल्म जगत में आज भी एक्ट्रेसेज को कुछ तय पैमानों पर मिलता है काम

हाल ही में सोनाक्षी सिन्‍हा की फिल्‍म इंडस्‍ट्री पर एक टिप्‍पणी ने कुछ सवालों को फिर से खड़े कर दिए हैं। एक साक्षात्‍कार के दौरान उन्‍होंने फिल्‍म जगत में एक्‍ट्रेसेज के लिए एक तय पैमानों पर सबकी नजर फिर से डाल दी है। सोनाक्षी ने बताया कि उन्‍हें कई बार इसलिए रिजेक्‍ट कर दिया गया कि वो बड़ी दिखती हैं। उन्‍होंने एक्‍टर्स पर सवाल उठाते हुए कहा कि वो अपनी से आधी उम्र की एक्‍ट्रेसेज के साथ काम करते हैं। उनकी उम्र पर कोई सवाल नहीं करता। एक्ट्रेसेज के लिए एज शेमिंग सदियों से इंडस्‍ट्री में है, जो आज भी है। एक्‍ट्रेसेज को फिल्‍म जगत में काम सिर्फ अभिनय की काबिलियत पर ही नहीं मिलता। उन्‍हें रूप-रंग, फिगर और उम्र के पैमानों पर भी खरा उतरना पड़ता है।

आज भी इंडस्‍ट्री में दोहरे मापदंड

आज भी फिल्‍मों में लीड एक्टर भले ही पचास का हो, लेकिन लीड एक्‍ट्रेस के लिए आधी उम्र की हिरोइन का चयन किया जाता है। 90 के दशक या उससे भी पहले के कई पुरुष कलाकार लीड एक्टर के तौर पर फिल्‍मों में काम कर रहे हैं और उनकी दौर की एक्‍ट्रेसेज साइड रोल करती नजर आ रही हैं। हालांकि, पिछले कुछ समय में महिला प्रधान फिल्‍में बन रही हैं, लेकिन उनकी संख्या न के बराबर है। आखिर कब तक एक्‍ट्रेसेज को उनके अभिनय क्षमता के साथ-साथ इन तय पैमानों को भी पूरा करना होगा।

एक्ट्रेस का पतला होना जरूरी है

बॉलीवुड की जानी-मानी अदाकारा विद्या बालन को उनके फिगर के लिए कई बार ट्रोल किया जाता रहा है। उन्‍हें कॉमर्शियल फिल्‍मों में बतौर हिरोइन बहुत कम फिल्‍मों में काम करने को मिला। उन्‍होंने अपने अभिनय से अलग मुकाम भले ही बना लिया हो, लेकिन उन्‍हें कई बार बॉडी शेमिंग का सामना करना पड़ा। वहीं सोनाक्षी सिन्‍हा, सारा अली खान, सोनम कपूर कई एक्‍ट्रेसेज ऐसी हैं, जिन्‍हें फिल्‍मों में काम करने के लिए अपने शरीर को शेप में लाने की शर्त का सामना करना पड़ा। सोनम कपूर ने एक बार अपने साक्षात्‍कार में बताया था कि सेट पर मौजूद लोग उनके स्‍ट्रेच मार्क्स के बारे में खुसफुसाते रहते थे।

उम्र का बढ़ना एक्‍ट्रेस के लिए अलार्मिंग स्‍टेज

बॉलीवुड में एक्‍टर की सफेद दाढ़ी और बालों के लुक को सॉल्‍ट-पेपर लुक कहकर उसे स्‍टाइल स्‍टेटमेंट का नाम दे दिया जाता है। लेकिन एक्‍ट्रेसेज के लिए उनकी उम्र झलकने का मतलब है लीड रोल से विदाई। उन्‍हीं की उम्र के एक्‍टर लीड रोल करते नजर आते हैं, लेकिन एक्‍ट्रेसेज को दूसरे ऑप्‍शन ऑफर किए जाने लगते हैं। इसका उदाहरण राखी हैं, जो कभी फिल्‍मों में अमिताभ बच्‍चन और उस दौर के कलाकारों की लीड एक्‍ट्रेस थीं। लेकिन उनकी उम्र बढ़ते ही वो मां के किरदार निभाती नजर आईं, जबकि उनके सहकलाकार लीड एक्‍टर ही रहे। हद तो तब हो गई जब वे अमिताभ बच्‍चन की मां के किरदार में भी स्‍क्रीन पर नजर आईं।

फिल्‍मों में एक्‍ट्रेसेज ग्लैमर ऑब्‍जेक्ट

फिल्‍मों की बात करें तो एक्‍ट्रेस फिल्‍म में हीरो के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती हैं। वे फिल्‍म में ग्‍लैमर को बढ़ाने के लिए होती हैं। फिल्‍मों में गानों में उनके ग्‍लैमरस अंदाज और सेंसुअस अवतार दिखाने का चलन लंबे समय से चला आ रहा है।

हालांकि, पिछले कुछ समय में इस पैटर्न में बदलाव आया है। महिला प्रधान फिल्‍में एक्‍ट्रेसेज को अभिनेता के तौर पर मिल रही हैं। लेकिन इन फिल्‍मों की संख्‍या न के बराबर ही है। अब भी ज्‍यादातर फिल्‍मों में एक्‍ट्रेसेज को ग्‍लैमरस ऑब्‍जेक्ट के तौर पर दिखाया जाता है।

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