हाल ही में टीवी के सुपरहिट सीरियल ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ के दूसरे सीज़न के बनने की खबरें ज़ोरों पर हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टीवी क्वीन एकता कपूर इस शो को दोबारा बनाने जा रही हैं। ‘मिहिर और तुलसी’ की प्रेम कहानी के साथ उनके परिवार से एक बार फिर फैंस मिल पाएंगे। यहां तक कि एकता कपूर के एक साक्षात्कार से ये भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि शो में तुलसी का किरदार स्मृति ईरानी ही निभाने वाली हैं। टीवी का यह शो ऐसा जादू लेकर आया जिसने फ़िल्मों के रिकॉर्ड भी तोड़ दिए। यहां तक कि शो के किरदार मिहिर की शो में मृत्यु के बाद फैंस उसकी वापसी की उस तरह ही मांग कर रहे थे, जैसा कि सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के फ़िल्म के सेट पर एक्सीडेंट के बाद उनकी सलामती के लिए कर रहे थे।
इस शो ने टीवी इंडस्ट्री में अलग तरह की ही क्रांति ला दी। एकता कपूर का सिर्फ़ ये शो ही नहीं, इसके जैसे कई शोज़ उस दौर में टीवी पर राज कर रहे थे। ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’, ‘कहानी घर घर की’, ‘कसौटी ज़िंदगी की’ — इन शोज़ की कुछ बातें दर्शकों को भले ही नागवार गुजर रही थीं, बावजूद इसके इन शोज़ की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई। क्या कभी सोचा है कि आख़िर इन शोज़ में ऐसा क्या था कि ये दर्शकों की पसंद में शामिल थे?
सीरियल का लार्जर दैन लाइफ वाला कैनवास
टीवी इंडस्ट्री में इन शोज़ के पहले तक आम लोगों जैसी ज़िंदगी ही पर्दे पर देखने को मिलती थी। एकता कपूर के सीरियल्स ने कहानी के किरदार से लेकर कहानी के सेट सभी को कुछ इस अंदाज़ में छोटे पर्दे पर पेश किया कि दर्शकों की आंखें चौंधिया गईं। वो किरदार जो घर में पूरे समय सजे-धजे, गहनों से लदे नज़र आते। उनका घर जो सपनों के घर सा लगता। घरवालों के बीच का बंधन — ये सब पिक्चर परफेक्ट था। जिसे फैंस अपनी ज़िंदगी में कहीं न कहीं चाहते थे। इन शोज़ की दर्शकों में ज़्यादातर महिलाएं थीं, जिन्हें टीवी पर इस तरह घर के काम के बावजूद सजे-संवरे रहने वाले किरदार लुभा रहे थे।
वो परफेक्ट रिश्ते
वो सुबह जल्दी उठकर घर में आरती की गूंज, तुलसी को जल चढ़ाने की झलक, परिवार के सभी लोगों के घर से बाहर जाने से पहले उनकी पसंद का नाश्ता तैयार — ये थे एकता कपूर की संस्कारी बहू के गुण। जो हर सास अपनी बहू में ढूंढती थी, तो हर महिला अपने घर को कुछ इसी अंदाज़ में आराम से चलाने का ख्वाब देखती थी। महिलाएं सुबह जल्दी उठकर भी घर के काम पूरा कर लेती हैं, लेकिन सास की शिकायतें फिर भी ख़त्म नहीं होतीं — जो इन सीरियल्स की परफेक्ट बहुओं के जीवन में नहीं थीं। यही नहीं, घर के कामों के बीच आज भी शायद कोई गृहिणी खुद को टीवी सीरियल की बहुओं की तरह मेंटेन कर पाती हो। यही वजह थी कि छोटे पर्दे की ये गृहिणियां आम घरों पर राज कर रही थीं।
परिवार में मिलती थी अहमियत
इन शोज़ में कहानी भले ही हर घर की थी, लेकिन असल ज़िंदगी से बिल्कुल अलग। जहां उस समय ज़्यादातर घरों में पुरुषों के हिसाब से काम होते थे। पूरा समय घर का ध्यान और घरवालों की पसंद-नापसंद का ख़याल रखने वाली महिला को उतना महत्व नहीं मिल पाता है जिसकी वो हकदार हैं। इन शोज़ में कहानी महिलाओं के इर्द-गिर्द ही घूमती थी। परिवार की छोटी-बड़ी समस्या का हल महिलाएं चुटकियों में कर लेतीं। घर की सबसे महत्वपूर्ण सदस्य ये महिलाएं ही थीं — जिसकी असल ज़िंदगी में कहीं न कहीं चाहत दिल में छुपी थी।
वो पति-पत्नी का रोमांस
ज़्यादातर परिवारों में शादी के बाद पति-पत्नी घर की ज़िम्मेदारियों के बीच अपने रिश्ते की महक खो बैठते हैं। इन शोज़ में ज़िम्मेदारियों के साथ वो रिश्ते के बीच का प्यार ज़िंदा नज़र आया। घर से काम के लिए जाता लीड हीरो अपनी लीड एक्ट्रेस को प्यार से अलविदा कहता। पति-पत्नी के बीच प्यार भरे छोटे-छोटे पल महिलाओं को उनकी ज़िंदगी से ग़ायब हो रहे पलों का अहसास कराते। उस दौर में परिवार के बीच खुलकर प्यार ज़ाहिर करने का चलन नहीं था। इन शोज़ में ये देखकर फैंस को ये फैंटेसी वाला परिवार अपना-सा लगने लगता।
वो हंसता-खेलता परिवार
वो दौर था एकल परिवार की शुरुआत का। बहुत से परिवार ऐसे थे जो छोटे शहरों और कस्बों में बस गए थे — जिसकी वजह से जॉइंट फैमिली कम देखने को मिलती थी। ऐसे में एक बड़े परिवार और उसके सदस्यों की कहानी उन्हें अपने परिवार का अहसास कराती। असल परिवार में जिस तरह सदस्यों के बीच मतभेद रहते हैं — वैसे कुछ किरदार इन शोज़ में भी नज़र आते। बावजूद इसके ये परिवार हर मुश्किल में एक-दूसरे के साथ नज़र आते — जो दर्शकों को जोड़े रखने का काम कर रहा था।
आज ओटीटी के दौर में भी परिवार और हमारे आस-पास की कहानियां दर्शकों को पसंद आ रही हैं। तभी तो ‘गुल्लक’, ‘पंचायत’ जैसी सीरीज़ कल्ट सीरीज़ बन चुकी हैं। अब देखना होगा कि इन कहानियों के बीच एकता कपूर का सास-बहू और परिवार का ड्रामा फिर दर्शकों को लुभा पाएगा या नहीं।