किताबें हमारी जिंदगी में हम सभी की बेहतर दोस्त होती हैं। लेकिन इन किताबों से हमारी और आपकी दोस्ती कितनी रह गई है इस सच्चाई से भी हम और आप अंजान नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि सभी लोग ऐसे ही कर रहे हैं लेकिन हां ज्यादातर लोग अब ऐसे ही हैं। वो किताबें जो हमारे हाथों में रहा करती थीं वो किताबें अब डिजाइनर बुक शेल्फ में सज चुकी हैं और हमारी हथेलियों में मोबाइल आ चुका है। लेकिन आप यकीन जानें आप चाहे अपने आप को अपडेट करने के लिए, खुद को मसरूफ रखने के लिए या सोते समय अपना टाइम पास करने के लिए मोबाइल में कितनी ही रील्स क्यों ना देख लें, यह किताबों का ऑप्शन नहीं हो सकतीं।
बच्चे आपसे ही सीखते हैं
मैंने और आप अक्सर अपने बच्चों को डांटने के लिए अक्सर यह कहते हैं कि जब देखो तुम्हारे हाथ में मोबाइल रहता है। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि बच्चे वही करते हैं जो वो अपने आस-पास होता हुआ देखते हैं। आप खुद बताइए, रात को सोते समय क्या आपके सिरहाने पर कोई किताब पाई जाती है? आप भी तो रील्स देखते-देखते ही सोते हैं। तो फिर बच्चों से हमें शिकायत है कि वो मोबाइल देखते हैं। रात को सोते समय वो भी तो वही कर रहे हैं जो आप और मैं कर रहे हैं। लेकिन कोई बात नहीं अभी भी देर नहीं हुई। अगर आप मोबाइल की दुनिया को छोड़कर किताबों की दुनिया में आएंगे तो बच्चे भी इस ज्ञान के रास्ते पर चल पड़ेंगे।
जिक्र करिए किताबों का
आजकल ऑनलाइन का ज़माना है। आप किताबें ऑनलाइन मंगवा सकते हैं। आपको जो जॉनर पसंद हो वो अपने लिए चुनें। बच्चों के साथ बातचीत में उन किताबों को शामिल करें। उनके कैरेक्टर के बारे में बात करें। कहानी का प्लॉट, सेंटर आइडिया, सभी कुछ डिस्कस करें। अगर आपके बच्चे बहुत छोटे हैं तो उनके लिए रंग-बिरंगी पुस्तकें लेकर आएं। उनके कमरे में महंगे खिलौनों के साथ किताबों को भी जगह दें। आप देखेंगे कि किस तरह से बदलाव शुरू होगा। वहीं अगर आपके बच्चे टीनएज में हैं तो उनकी पसंद के राइटर की बुक उन्हें आप मौके-मौके पर गिफ्ट भी दे सकते हैं।
वो क्रिएटिविटी अपने आप डेवलप होगी
हम सभी चाहते हैं कि हमारे बच्चे क्रिएटिव हों। यह किताबें पढ़कर ही मुमकिन हो सकता है। बचपन से ही उनके अंदर पढ़ने-लिखने की आदत डालें। रात को सोते समय आप बच्चों को पंचतंत्र की कहानियां भी सुना सकती हैं। जब वो आपके साथ किताबों को पढ़ेंगे, उनके पन्नों को पलटेंगे, तो आप यकीन जानें उनकी क्रिएटिविटी, उनकी इमेजिनेशन पावर अपने आप ही बढ़ेगी। उनका माइंड भी बहुत अच्छे से डेवलप होगा। सबसे बड़ी बात, अगर छोटी उम्र में ही उनका किताबों में मन लग गया तो यह आदत ताजिंदगी उनके काम ही आएगी।
यह सच में होता है
मैं अपने तजुर्बे से कह सकती हूं कि आपको एक दुनिया दिखाती हैं किताबें। मैं पहले बहुत किताबें पढ़ा करती थी और अब सच कहूं तो मेरे हाथ में भी सभी की तरह मोबाइल है। मैंने पिछले दो साल में कौन सी किताब पढ़ी थी, मुझे याद नहीं है। लेकिन हां जब मैं किताबें पढ़ा करती थी तो उन किरदारों में ही घूमा करती थी। मैंने प्रेमचंद की किताबों को पढ़कर जाना कि भारत में बीस और तीस के दशक में खाना खाने के बाद पान खाने की परंपरा थी, वहीं तांगे में बैठकर सिनेमा जाना भी एक अनुभव होता था। एक और किताब है जिसके जरिए मैंने बांग्ला संस्कृति को जाना — वो है बंकिमचंद्र चटोपाध्याय की ‘आंख की किरकिरी’। इस किताब के बारे में मैं क्या ही कहूं। इसका कथानक बहुत अच्छा था। वो बहुत मोटी सी किताब थी जिसे मैंने तीन दिन में पढ़ डाला था। ओह! क्या तिलिस्म होता है किताबों का।
यह सजाने के लिए नहीं है
हमें और आपको इस बात को समझना होगा कि यह किताबें तो हमारे दिल में उतरने के लिए हैं, घर को सजाने के लिए नहीं। आजकल इंटीरियर डिज़ाइनिंग में बुक शेल्फ को बहुत अच्छे से ध्यान रखा जा रहा है। अच्छी बात है लेकिन इन किताबों पर आप धूल ना लगने दें। किताबों के पन्नों की एक खूबसूरत सी दुनिया आपका इंतजार कर रही है। आइए और खो जाइए इन पन्नों में।