रैंप वॉक तो बहुत देखी होगी, लेकिन कभी देखी है आपने एलिफेंट रैंप वॉक?

रैंप वॉक तो बहुत देखी होगी, लेकिन कभी देखी है आपने एलिफेंट रैंप वॉक?

फैशन और उसमें की जाने वाली रैंप वॉक का अपना ही एक्सपीरियंस है। कैट वॉक करती मॉडल्स को देखना और लास्ट में शो स्टॉपर का डिजाइनर के साथ आना फैशन इंडस्ट्री का एक अभिन्न हिस्सा है। लेकिन वर्ल्ड एलिफेंट डे यानी कि 12 अगस्त को जयपुर के हाथी गांव में कुछ अलग होने वाला है। इस बार रैंप पर मॉडल्स नहीं बल्कि हमारे प्यारे एलिफेंट वॉक करेंगे। जयपुर में होने जा रहा अपनी तरह का यह अनूठा शो आमजन के लिए निशुल्क है। यह शो दोपहर तीन बजे से शुरू होगा, जिसमें पंद्रह हाथी रैंप पर वॉक करेंगे। इस फैशन शो का उद्देश्य हाथियों के प्रति जागरूकता और संवेदना को विकसित करना है।

परंपरा के साथ फैशन

यह शो तो भले ही पहली बार हो रहा है लेकिन हाथियों को सजाने की परंपरा जयपुर में राजशाही के ज़माने से है, जहां हाथियों की सूंड को प्राकृतिक रंगों से सजाकर उन्हें पाजेब और झूल पहनाया जाता था। आपको बता दें कि हाथियों की पोशाक को झूल कहा जाता है। इस बार होने वाले फैशन शो में आपको अपने प्यारे हाथी गंठा, सिरी, पाजेब के साथ सजे-धजे नजर आएंगे। हथिनी चंदा, रानी और मारुति भी अन्य हाथियों के साथ रैंप वॉक करेंगी।

पांच पीढ़ियों ने है सहेजा

हाथी गांव विकास समिति के अध्यक्ष बल्लू ने बताया कि हाथी जो जूलरी पहनने वाले हैं वो राजा-महाराजाओं के ज़माने की है। वो पांचवीं पीढ़ी हैं जो इस जूलरी को संभाल रहे हैं। यह जूलरी चांदी की है। यह जूलरी भी ऐसी-वैसी नहीं है। जब यह हाथी 62 किलो की जूलरी पहनेंगे तो उनकी वैभवता देखते ही बनेगी। महावतों और उनके हाथियों का अपना एक अलग रिश्ता है। अगर आप जयपुर कभी गए हैं तो आपने उनकी सूंड को सजे-धजे देखा ही होगा। अक्सर महावत अपने हाथी को नहला-धुलाकर उनकी सूंड को सजाकर ही उन्हें लेकर सैर पर निकलते हैं। उनकी सूंड पर फ्लावर पैटर्न नजर आता है। वहीं उनकी ड्रेस पर एलिफेंट प्रिंट होता है। यह दोनों ही पैटर्न इस बात का संकेत हैं कि वो फूलों जैसा कोमल है तो टाइगर जैसी खूबियां भी उसी में मौजूद हैं।

हाथी गांव की खासियत

आपको बता दें कि यह विश्व का तीसरा और भारत का पहला ऐसा गांव है जहां सिर्फ हाथी रहते हैं। यह हाथी गांव 140 बीघा में फैला है, जहां वर्तमान में 84 हाथी साथ में रहते हैं। इस गांव में टूरिस्ट खूब आते हैं और बहुत से पशुप्रेमी उनकी सेवा करने यहां आते भी हैं। वहीं कुछ लोग करीब से हाथियों की जीवनशैली को जानते हैं। यहां आकर आप अपने हाथ से हाथी को खाना खिला सकते हैं, राइड कर सकते हैं और उनके साथ फोटोग्राफी करवा सकते हैं। यहां तक कि आप उन्हें नहला भी सकते हैं। सबसे बड़ी बात, आप यहां आकर हाथी और महावत की बॉन्डिंग को देख सकते हैं। साल 2010 में इस गांव की स्थापना हुई थी। इसे एक पर्यटक हब के रूप में विकसित किया गया है। इसमें हाथियों के साथ उन्हें पालने वाले महावतों का परिवार रहता है।

आप कैसे पहुंचे

आपके लिए यहां तक पहुंचना बहुत आसान है। अगर आप अपनी पर्सनल गाड़ी से आ रहे हैं तो सीधे हाथी गांव पहुंच सकते हैं। यह आमेर के पास है। वहीं अगर आप बस या ट्रेन से आ रहे हैं तो आप आमेर महल पहुंचें। यहां तक पहुंचने के लिए आपके पास विकल्पों की कोई कमी नहीं है। यहां पहुंचकर आप शेयरिंग ऑटो या कैब बुक कर सकते हैं।

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