सिर्फ खाने-पीने की नहीं, खुद के अंदर एक इतिहास समेटे है पुरानी दिल्ली

सिर्फ खाने-पीने की नहीं, खुद के अंदर एक इतिहास समेटे है पुरानी दिल्ली

पुरानी दिल्ली का नाम अगर आपके ज़ेहन में आता है तो इसके साथ ही आपको याद आता है पुरानी दिल्ली का खानानहारी, कोरमे, चिकन टिक्का, असलम बटर चिकन और भी बहुत कुछ, जो आपने या आपके अपनों ने जामा मस्जिद के आस-पास खाया होगा। यह बात सच है कि पुरानी दिल्ली के खाने का अपना एक अलग मज़ा है। आपको यहां फेमस फूड व्लॉगर्स भी अपने कंटेंट को जुटाते मिल जाएंगे। लेकिन अगर आप यह सोचते हैं कि पुरानी दिल्ली सिर्फ खाने तक ही सीमित है, तो जनाब, आपको अपनी सोच को दुरुस्त करने की ज़रूरत है। चलिए जानते हैं, पुरानी दिल्ली में ऐसा क्या है, जो ज़ायकों से भी कहीं ज़्यादा अहम है।

नेहरू जी का ससुराल

जी हां, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का ससुराल भी यहीं का है। चांदनी चौक स्थित हक्सर हवेली में कमला नेहरू का परिवार रहता था। साल 1916 में नेहरू जी यहीं बारात लेकर आए थे। हालांकि, अब यह हवेली खंडहर में तब्दील हो चुकी है। 1960 में कमला नेहरू के परिवार ने इसे बेच दिया था। उस समय यह कई कश्मीरी ब्राह्मण परिवारों का निवास स्थान थी। कमला नेहरू का पूरा बचपन इसी हवेली में बीता है। बेशक, यह हवेली अब कमला नेहरू के परिवार के स्वामित्व में नहीं है, लेकिन यह हवेली नेहरू जी के ससुराल के नाम से ही जानी जाती है। यह सीताराम बाजार में स्थित है।

हालांकि, शादी के बाद नेहरू जी इस हवेली में कभी नहीं गए, लेकिन इंदिरा गांधी को अपनी मां की वजह से इस हवेली से गहरा लगाव था। 1980 में, प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस हवेली का दौरा भी किया था। आप भी इस हवेली को बाहर से जाकर देख सकते हैं और इसके ऐतिहासिक महत्व को महसूस कर सकते हैं।

ग़ालिब की हवेली

ग़ालिब की बात आए और पुरानी दिल्ली का ज़िक्र ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। ग़ालिब ने अपने जीवन के आखिरी साल गली क़ासिम जान स्थित हवेली में बिताए थे। इतना ही नहीं, उनकी शादी भी इसी हवेली के पास स्थित एक मकान में हुई थी। बेशक, यह जगह बहुत छोटी है, लेकिन यहां आकर ऐसा लगेगा कि ग़ालिब कहीं दूर से आपको देख रहे हों।

इस हवेली में ग़ालिब ने अपनी ज़िंदगी के 9 साल गुज़ारे थे। अगर आपको भी साहित्य में रुचि है और ग़ालिब से प्यार है, तो इस हवेली को ज़रूर विजिट करें। यहां ग़ालिब का एक छोटा सा संग्रहालय भी है, जो आपको बहुत अच्छा लगेगा। इस हवेली में जाकर आपको लगेगा, जैसे आप किसी टाइम मशीन में बैठकर मिर्ज़ा ग़ालिब के दौर में लौट आए हैं।

रज़िया सुल्तान का मकबरा

चाहे आपकी इतिहास में रुचि हो या ना हो, लेकिन आपको रज़िया सुल्तान के बारे में तो पता ही होगा। 12वीं सदी में, वो पहली मुस्लिम महिला थीं, जिन्होंने दिल्ली के तख़्त पर राज किया था। रज़िया सुल्तान का मकबरा पुरानी दिल्ली की तंग गलियों में स्थित है। तुर्कमान गेट के पास बुलबुली खाना में उनका मकबरा मौजूद है।

          1240 में जब उनका मकबरा यहां बना था, उस दौर में यह जगह दिल्ली के सबसे ऊंचे स्थानों में से एक थी। हालांकि, रज़िया सुल्तान ने बहुत कम समय के लिए दिल्ली के तख़्त पर राज किया, लेकिन उनका नाम आज भी इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। उस वक्त जब यह मकबरा बना था, यहां भीड़ नहीं होती थी, लेकिन आज यह मकबरा पुरानी दिल्ली की संकरी गलियों के बीच सिमट चुका है।

 

Edge computing: तकनीकी विकास का अगला कदम
Edge computing: तकनीकी विकास का अगला कदम

क्या आपने कभी सोचा है कि self-driving cars कैसे इतनी जल्दी निर्णय लेती हैं? या gaming में इतने तेजी से डेटा प्रोसेस कैसे होता है? इसका जवाब है Edge...

सास-बहू ड्रामे के बीच ये रियलिटी शोज दर्शकों को देते हैं मनोरंजन का अलग फ्लेवर
सास-बहू ड्रामे के बीच ये रियलिटी शोज दर्शकों को देते हैं मनोरंजन का अलग फ्लेवर

सालों से दर्शकों को सास-बहू और साजिश वाले सीरियल्‍स दर्शकों के सामने परोसे जाते रहे हैं। सालों साल चलने वाले इन सीरियल्‍स में एक महिला जो त्‍याग,...