आपके घर में हैं क्या इंडोर गेम?

आपके घर में हैं क्या इंडोर गेम?

जेन एक्स के बच्चों का बचपन फुल फन और एक्साइटमेंट लिए हुए था। उस दौर में बच्चे आउटडोर गेम तो खेलते ही थे, लेकिन उनके पास इंडोर गेम का भी एक खज़ाना हुआ करता था।

इसमें कैरम, लूडो, सांप सीढ़ी, ओनो और कार्ड्स तो लगभग सभी बच्चों के पास होते थे। और अगर कोई दूर का भी रिश्तेदार घर आता था, तो उनके बच्चों से दोस्ती कैरम की वजह से झट से हो जाया करती थी। लेकिन आज जब हम अपने बच्चों को सारी सुख-सुविधाओं से भरपूर एक बचपन दे रहे हैं, तो क्या आपने कभी सोचा है कि उन बच्चों के पास इंडोर गेम के नाम पर क्या है? अगर वो मोबाइल नहीं देखेंगे तो वो क्या करेंगे, क्या इस सवाल का जवाब आपके और हमारे पास है? ऐसा बिल्कुल भी ना सोचें कि मैं बच्चों का फोन देखने की हिमायत कर रही हूं। बल्कि यह सवाल हम सब पेरेंट्स के लिए है कि क्या हम अपने बच्चों के एंटरटेनमेंट के बारे में सीरियस हैं?

कहीं बहुत कुछ छूट तो नहीं रहा

हम सभी के दिमाग में आजकल एक चीज़ बहुत है, हम बहुत अच्छे की तलाश में रहते हैं। एक छोटा सा एक्ज़ाम्पल आपको देते हैं। बहुत अच्छे और ब्रांडेड की तलाश में हम रहते हैं। इस चक्कर में या तो चीज़ आ ही नहीं पाती और अगर वो बड़े साइज़ का कैरम गलती से आ भी जाए, तो इसलिए एक कमरे में बंद हो जाता है कि कोई बड़ी पार्टी होगी और फन एक्टिविटीज में उसे निकाला जाएगा।

उसे बड़े सेलिब्रेशन के लिए कहीं हमने छोटे मौकों को जीना तो नहीं छोड़ दिया। ऐसा तो नहीं कि कुछ अच्छा करने के चक्कर में हमने सिंपल होना ही छोड़ दिया। जनाब, ज़िन्दगी बहुत सरल और छोटी है। बड़ी चीजों से इस छोटी सी ज़िन्दगी को ख़राब न करें।

मोबाइल में है न

अब भई, बहुत से लोग खुद को तसल्ली देने के लिए इस बात पर बहस करने लगेंगे कि मोबाइल में सारे गेम मौजूद हैं। कई बार फैमिली के साथ हम तो मोबाइल में ही लूडो, सांप सीढ़ी, कार्ड्स खेल लेते हैं। तो भई, आप एक बात बताएं। पासा फेंकने में जो हम लोग दूसरे की आंख में धूल झोंकते थे, क्या वो बच्चा कर पा रहा है?

आप इस बात को ऐसे मत देखें कि बच्चे को चीटिंग सिखा रहे हैं। लेकिन कुछ स्मार्ट मूव खेलों में हो जाया करते थे। मैं अपने छोटे भाई की बात करूं, वो कैरम खेलते समय बोर्ड पर से गोटी उठा लेता था। मुझे और मेरी बहन को इस चीज़ का बहुत ध्यान रखना पड़ता था। इस तरह हम कैरम के तो बेहतरीन खिलाड़ी बने ही, वहीं उसकी हरकतों पर भी पूरा ध्यान रहता था। लेकिन क्या ऑनलाइन गेम में ऐसा मुमकिन है?

वो शोर भी तो नहीं रहा

आजकल घरों में एक खामोशी सी पसरी है। बच्चे अपने मोबाइल में कानों में ईयरपॉड लगाए हैं। आपसे विनती है कि अपने घरों में जो भी आप लोगों को पसंद हो वो गेम लेकर आएं।

बच्चे गेमों में हारते भी हैं और जीतते भी हैं। लेकिन इन सभी के बीच में उनके झगड़े, रूठा-मनाना होता है। इससे घर में शोर होता है। और यह शोर घर की रौनक होता है। मोबाइल की वजह से अपने घरों में सन्नाटा न पसरने दें।

यह आवाज फिर से आए, "मम्मी देखो न दीदी और चाचू ने एक टीम बना ली और मुझे अकेला कर दिया।" आप भी उनके पार्टनर बन जाएं। उनके साथ फिर से अपने बचपन को जी लें।

आईए, आप और हम मदद करें बच्चों को मोबाइल से परे कुछ सोचने की। ज़िन्दगी को जीने की। मैं यकीन से कह सकती हूं कि उनकी बेहतरीन यादें जुड़ेंगी जब वो इन गेम्स को खेलेंगे।

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