ज़िंदगी के रंगों को अगर महसूस करना चाहते हैं तो चले आइए पुष्कर मेला

ज़िंदगी के रंगों को अगर महसूस करना चाहते हैं तो चले आइए पुष्कर मेला

मेले कल भी और आज भी बहुत से रंगों को अपने अंदर समेटे हुए हैं। मेले की अपनी एक अनूठी जादू भरी दुनिया है। जादू भरी ऐसी ही एक दुनिया को अगर आप महसूस करना चाहते हैं, तो पुष्कर मेला आपके लिए कभी ना भूलने वाला एक एक्सपीरियंस बनकर उभरेगा। इसका अपना एक सांस्कृतिक महत्व तो है ही, वहीं यह दुनिया के सबसे बड़े ऊंट मेलों में से एक है। यहां ऊंटों, घोड़ों और अन्य मवेशियों की खरीद-बिक्री होती है, साथ ही यहां लोक संस्कृति, संगीत, नृत्य, हस्तशिल्प और पर्यटन का संगम भी होता है। हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर यह मेला लगता है। 30 अक्टूबर से शुरू हुआ यह मेला 5 नवंबर तक रहेगा। इसमें हर साल देशी के साथ विदेशी पर्यटक भी हिस्सा लेते हैं। हर साल की तरह इस साल भी कई तरह की कल्चरल एक्टिविटीज इस मेले में आयोजित की जा रही हैं।

तो पहुंचे कैसे

अब सबसे बड़ा सवाल है कि आप इस मेले में पहुंचें कैसे? तो आपको बता दें कि पुष्कर, अजमेर के पास का एक छोटा सा शहर है। आप दिल्ली से डायरेक्ट पुष्कर आ सकते हैं। यह सड़क मार्ग काफी अच्छा है। आप अपनी गाड़ी के अलावा ट्रेन और बस से भी यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। मेले में प्रवेश के लिए किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं है। लेकिन अगर किसी एक्टिविटी में हिस्सा लेना चाहते हैं या हॉट एयर बैलून के मज़े लेना चाहते हैं, तो आपको शुल्क देना होगा।

क्या-क्या हैं एक्टिविटीज

इस मेले का क्रेज़ विदेशी पर्यटकों को बहुत रहता है। ऐसे में कई प्रतियोगिताएं विदेशी बनाम स्वदेशीके बीच होती हैं। इसमें पगड़ी बांधने का कंपटीशन, रस्साकशी, सितोलिया, लंगड़ी टांग, कबड्डी, लगान स्टाइल क्रिकेट आदि रोचक मुकाबले आपको इस मेले में देखने को मिलेंगे। कंपटीशन और इस मेले के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप tourism.rajasthan.gov.in पर विस्तृत जानकारी देख सकते हैं। इसके अलावा, मेले का क्राफ्ट बाजार भी आकर्षण का केंद्र रहेगा।

आप देख सकते हैं ऊंटों के साथ लगाव को

ऊंट रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है और ऊंट पालक और ऊंटों का आपसी रिश्ता क्या होता है, इसकी झलक आप मेले में देख सकते हैं। यहां ऊंट नृत्य प्रतियोगिता, ऊंट डांस और कैटवॉक विदेशी सैलानियों को खूब भाती है। यह मेला पशुओं के क्रय-विक्रय का भी एक बड़ा केंद्र है। इस बार लगभग 4000 पशुओं का रजिस्ट्रेशन हुआ है, जिसमें घोड़े, ऊंट और गाय शामिल हैं। सबसे ज़्यादा रजिस्ट्रेशन इस बार घोड़ों का हुआ है। व्यापार में पारदर्शिता के लिए राज्य के पशुपालन विभाग ने पशुओं के रिकॉर्ड को डिजिटलाइज़ करना शुरू किया है।

मेले में एक घोड़े की कीमत 15 करोड़ रुपये है। इस घोड़े का नाम शहबाज़ है। मारवाड़ी नस्ल के इस घोड़े ने कई शो जीते हैं। लेकिन इस बार इस मेले का नायक एक भैंसा अनमोलहै। इसकी कीमत 35 लाख रुपये बताई जा रही है। स्वाभाविक है कि यह 35 लाख का है, तो इसकी कुछ आदतें भी राजसी ही होंगी। अनमोल रोज़ 1500 रुपये के काजू खाता है, दूध पीता है और देसी घी भी उसकी डाइट में शामिल है।
अनमोल का वजन 600 किलो है। पंजाब से आया यह भैंसा परमिंदर गिल का है। इसके अलावा और भी कई पशु यहां आकर्षण का केंद्र हैं।

तो आप भी पधारिए राजस्थान

तो बस देर किस बात की! आप भी आइए और इस मेले का आनंद लीजिए। जहां एक तरफ आपको श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते नज़र आएंगे, वहीं दूसरी तरफ आप संस्कृति के रंगों को भी यहां महसूस कर पाएंगे। यह एक ऐसा अनुभव है जो आपकी यादों के बक्से में एक सुनहरी याद बनकर हमेशा महफूज़ रहेगा। और हां, आपके सोशल मीडिया पर भी इसके रंग कुछ अलग ही होंगे।

तो आइए पुष्कर, और अपनी सोशल मीडिया फीड को रंगीन कर लीजिए।

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