तो आखिरकार बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 2024 का अंत हुआ और साथ ही अंत हुआ भारत की वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में फाइनल में जाने की उम्मीदों का भी। भारत ना सिर्फ यह पांच मैच की सीरीज 3-1 से हारा बल्कि अगर यह कहा जाए कि कई जगह बुरी तरह बेइज्जत भी हुआ तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
लचर बल्लेबाजी, अति प्रयोगात्मक गेंदबाजी
जहां एक तरफ भारत की बल्लेबाजी का टॉप और मिडिल ऑर्डर काफी हद तक फ्लॉप रहा। जायसवाल के अलावा किसी बल्लेबाज ने जिम्मेदारी से बल्लेबाजी नहीं की। उनके अलावा तक़रीबन सभी बल्लेबाजों के पास एक के बाद दूसरी पारी बताने के लिए कुछ नहीं है। जहां कोहली ऑस्ट्रेलियन फील्डिंग कोच की जिम्मेदारी स्वयं लेते हुए उनके स्लिप के क्षेत्ररक्षकों को कैच प्रैक्टिस करवाते रहे, वहीं पंत लगातार उलजलूल शॉट लगाकर आउट होते रहे।
वहीं दूसरी तरफ गेंदबाज़ी में ठीक-ठाक प्रदर्शन होने के बावजूद जबरदस्ती के बदलाव किए गए, जिसकी वजह से बुमराह और सिराज के अलावा कोई तीसरा गेंदबाज उतना प्रभावशाली प्रदर्शन नहीं कर पाया। तेज़ गेंदबाजों में राणा के बाद आकाशदीप, फिर प्रसिद्ध कृष्णा को मौका दिया गया, जिससे तीसरे गेंदबाज आत्मविश्वास से गेंदबाज़ी नहीं कर पाए। जबकि आकाशदीप को पूरी सीरीज दी जा सकती थी, ख़ास तौर पर जैसा प्रदर्शन वो भारत में कर के आए थे। मगर पहले टेस्ट में ही उनकी जगह हर्षित राणा को लिया गया, जो कि इतना खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। तब आकाश को मौक़ा दिया गया, मगर आखिरी टेस्ट में उनको फिर से बैठा दिया गया।
स्पिन गेंदबाज़ी तो बिल्कुल फ्लॉप रही, मगर अश्विन को टीम में नहीं लिया गया। और जब उनको लगा कि आगे आने वाले मैच में वो बेंच पर ही बैठने वाले हैं तो उन्होंने मैच देखने के लिए अपने घर के ड्राइंग रूम को चुनना उचित समझा।
बुमराह एट इट्स बेस्ट
बुमराह ने अपनी करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और यह दर्शाया कि शायद आने वाले समय में वो भारत के महानतम तेज़ गेंदबाज कहलाएंगे। उन्होंने BGT में 32 विकेट लिए, जो किसी भारतीय तेज़ गेंदबाज का भारत के बाहर बेस्ट प्रदर्शन है। और जैसी कप्तानी उन्होंने पहले टेस्ट में की, उससे लगा कि भविष्य के नियमित भारतीय टेस्ट कप्तान बुमराह ही हैं।
BGT और विवाद
जहां एक तरफ भारतीय टीम अपने औसत क्रिकेटीय प्रदर्शन से रुसवा हुई, वहीं मैदान पर खिलाड़ियों की ऊलजलूल हरकतों से रुसवाइयों में चार चांद लग गए। जहां शुरू में सिराज ने लाबुशेन को छेड़ा और फिर हेड से भिड़ गए, वहीं आखिरी टेस्ट में जिस तरह पूरी टीम ही कॉन्सटस से उलझती नज़र आई।
अश्विन के बारे में ऊपर बात हो ही चुकी है। आखिरी टेस्ट में रोहित ने खुद को बाहर रखकर एक नई बहस और उनके रिटायरमेंट की ख़ुसपुसाहट को जन्म दिया, जिसको बाद में रोहित को ही सामने आकर ख़त्म करना पड़ा। और आखिर में ऑस्ट्रेलियन सिरीज़ मैनेजमेंट ने भारत के महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर को सीरीज के खात्मे पर पोडियम पर नहीं बुलाकर रही सही कसर पूरी कर दी।
BGT का हासिल
अगर बात करें कि भारतीय टीम ने बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 2024 से क्या पाया तो वो होगा बुमराह का लाजवाब प्रदर्शन और उनमें भारतीय टेस्ट टीम का भविष्य का कप्तान। इसके अलावा जायसवाल की कुछ पारियों के अलावा ऐसा कुछ नहीं था, जो भारतीय क्रिकेट टीम ज़्यादा याद रखना चाहेगी।