सुनीता विलियम्स बेशक एक अमेरिकन नागरिक हैं। लेकिन मूल रूप से भारतीय होने के कारण हम भारतीय लोग उनके साथ इमोशनली अटैच फील करते हैं। वो जब 9 महीने पहले स्पेस में गई थीं वो पल हम लोगों के लिए गौरव का पल बन गया था। खैर वो गई तो थीं सिर्फ 9 दिन के लिए। लेकिन उनके यान में कुछ तकनीकी खराबी आ गई थी जिसकी वजह से उनका स्पेस में रहना कुछ दिनों तक सीमित नहीं रह गया। यह लगातार टलता जा रहा था और आखिर वो स्पेस में 9 महीने बिताकर सकुशल अपने साथियों के साथ लौट चुकी हैं।
उन्होंने साबित किया कि वो बहादुर हैं
आज सुनीता की चर्चा पूरी दुनिया में है। अंतरिक्ष में जाने वाली वे भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। उनसे पहले कल्पना चावला ने एक भारतीय महिला के तौर पर अंतरिक्ष में जाकर एक कीर्तिमान स्थापित किया था। वहीं जब 2006 में सुनीता विलियम्स ने स्पेस में वॉक की तो उनकी इस वॉक ने भारतीयों की उम्मीदों को भी जगा दिया। वो पहली स्पेस यात्री हैं जिन्होंने स्पेस मैराथन में हिस्सा लिया था। साल 2006 के बाद वो कई बार अंतरिक्ष में जा चुकी हैं। लेकिन इस बार जब उनका यह ट्रिप खिंचता जा रहा था तो कहीं ना कहीं लोगों के मन में एक डर और असमंजस की स्थिति बन गई थी। नासा की ओर से हालांकि लगातार अपडेट मिल रहे थे। लेकिन उनकी वापसी लगातार टलती जा रही थी। लेकिन इस 9 महीने के दौरान जो सुनीता ने धैर्य का परिचय दिया वो सच में उनकी साहस की कहानी कहता है। इस नौ महीने में वो टूटी नहीं बल्कि उन्होंने अंतरिक्ष में रहने के दौरान वो बहुत सी रिसर्च की जो आगे आने वाले समय में अंतरिक्ष ज्ञान के लिए बहुत फायदेमंद होंगी।
वो मुस्कान
स्पेस एक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान में जब वो भारतीय समयानुसार रात 3:27 पर जब धरती पर वापस आईं तो लोगों की थमी हुई सांसों को मानों एक करार मिल गया। असल में नासा ने इस स्पेस के आने का सीधा प्रसारण किया था। बहुत से भारतीय लोग रात को जागकर इस प्रसारण को देख रहे थे। जब उनका यान दिखना शुरू हुआ तो उम्मीदें भी जागीं और जैसे जैसे पैराशूट खुलने शुरू हुए तो लगा कि अब सभी कुछ शायद सही ही होगा। इस दौरान स्पेस के अंदर की तस्वीरें भी आ रही थीं जहां सुनीता विलियम्स आंखें बंद किए बैठी नजर आ रही थीं लेकिन जैसे ही उनका विमान सफलतापूर्वक समंदर में आया और उसके बाद विमान की चेकिंग के बाद जब यात्रियों को बाहर निकाला गया तो माहौल में पॉजिटिविटी छा गई। सुनीता विलियम तीसरे नंबर पर थीं जब उन्हें विमान से निकाला गया। लेकिन वो जैसे ही बाहर निकली उनकी वो मोहक सी मुस्कुराहट सभी का दिल जीतने में कामयाब रही।
गांव में भी हो रही थीं दुआएं
जहां एक ओर पूरी दुनिया में इस समय सुनीता और उनकी टीम की चर्चा है। वहीं भारत में उनके पैतृक गांव झूलासन में भी जश्न का माहौल है। उनकी सकुशल वापस आने के लिए बहुत प्रार्थनाएं की जा रही थीं। लोग अखंड ज्योत जलाए बैठे थे। आपको बता दें कि सुनीता के पिता बेशक 1950 में अमेरिका जाकर बस गए थे, लेकिन इनके कुछ रिश्तेदार आज भी गुजरात के इस गांव में रहते हैं। सुनीता का जन्म हालांकि अमेरिका में हुआ है लेकिन वह भी गांव से पूरी तरह कटी नहीं हैं। वे साल 2007 और साल 2013 में अपने गांव आ चुकी हैं। उम्मीद की जा रही है कि जब सुनीता को यह पता चलेगा कि उनके गांव वाले उन्हें लेकर कितने चिंतित है तो वह यहां जरूर आएंगी। लेकिन अगर इस समय की बात करें तो यह बस सुनीता का समय है और जिस बहादुरी से उन्होंने अपने इस वक्त को काटा है वो वाकई बेमिसाल है। सच बात है सुनीता विलियम्स हम सभी भारतीयों को आप पर गर्व है।
फिर भी दिल है हिंदुस्तानी
सुनीता वो इंसान हैं जिनकी बारे में चर्चाएं होती हैं लेकिन वह अपने निजी जीवन में बहुत सादा हैं। वो अध्यात्म को भी पसंद करती हैं। जब वे पहली बार स्पेस गई थीं तो समोसे और रामायण को अपने साथ लेकर गई थीं। वहीं जब वे पिछले बार इंडिया विजिट करने आई थीं उस वक्त स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था आप असफलता से मत डरा करिए। अगर आप कुछ करने का प्रयास करते हैं तो असफलता भी मिल सकती है। लेकिन आपको अपनी कोशिश नहीं छोड़नी चाहिए। अपने जीवन में आपको काम वो करना चाहिए जिसे करने से आपको खुशी मिले। ऐसे में हम कह सकते हैं कि वो भले ही अंतरिक्ष की रानी हों लेकिन उनका दिल हिंदुस्तानी है।