नेहा भारती, वह लड़की जो माहे रमज़ान में दिल्ली की जामा मस्जिद में बाँट रही है इफ्तारी

नेहा भारती, वह लड़की जो माहे रमज़ान में दिल्ली की जामा मस्जिद में बाँट रही है इफ्तारी

वैसे तो दिल्ली की जामा मस्जिद हमेशा ही लोगों से गुलज़ार रहती है। लेकिन रमज़ान के पाक महीने में इसकी रौनक अलग होती है। ख़ासकर रमज़ान में बहुत से लोग यहाँ आकर रोज़ा इफ्तार करते हैं। रोज़ा इफ्तार का मतलब तो आप समझ ही चुके होंगे और अगर नहीं समझे तो मैं समझा देती हूँ। दरअसल मुस्लिम समुदाय के लोग माहे रमज़ान में रोज़ा रखते हैं। पूरा दिन खाना पानी कुछ भी नहीं लिया जाता। लेकिन सूर्यास्त के बाद यानी मगरिब के समय इस्लाम धर्म को मानने वाले अपने रोज़े को खोलते हैं। इस दौरान वह खजूर, फल, और दूसरी खाने की चीज़ों का सेवन करते हैं। इसे ही इफ्तार कहा जाता है। हाँ तो हम बात कर रहे थे जामा मस्जिद की इफ्तार की। यहाँ आने वालों में कुछ सैलानी होते हैं। कुछ आस-पास के लोग, वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इस शहर में अकेले रहते हैं लेकिन यहाँ आकर सभी के साथ इफ्तार करते हैं। आप चाहें तो अपने घर से भी इफ्तार ला सकते हैं। वरना यहाँ मस्जिद के आस-पास आपको इफ्तारी की प्लेट भी मिल जाती हैं। इस मस्जिद में बड़ा सा दस्तरख्वान लगता है। जहाँ बैठकर इफ्तारी करना अपने आप में एक ऐसे एक्सपीरियंस है। लेकिन आप यह मत सोचिए कि आपको इफ्तारी लानी ही है। अगर आप इफ्तारी नहीं भी लाएँगे तो भी कोई बात नहीं। यहाँ बहुत से लोग आपको फ्री में ऐसे ही इफ्तारी करवाते भी मिल जाएँगे। ऐसे ही लोगों में एक है नेहा भारती।

वो नायक है आज की

ऐसा नहीं है कि जो लोग वहाँ इफ्तारी करवा रहे हैं। वो लोग कुछ महान काम कर रहे हैं। अगर आपके पास पैसों की गुंजाइश है तो आपको बिल्कुल समाज के लिए ऐसे काम करने ही चाहिए। और अक्सर लोग इसी भावना से अपने रब को खुश करने के लिए ऐसा करते हैं। लेकिन इन सभी लोगों के बीच में नेहा भारती एक नायक के तौर पर उभरी हैं। जैसा कि आप उनके नाम से ही समझ गए होंगे कि वो किसी और धर्म से ताल्लुक रखती हैं। लेकिन मगरिब के वक़्त जब वो अपने हाथों में इफ्तार का सामान लेकर चढ़ती हैं तो रोज़दारों की भीड़ उन्हें अपना इंतज़ार करती मिलती है। यह युवा लड़की अपने साथ बहुत से सपनों को लेकर आती है। उसे रोज़दारों को रोज़ा खुलवाना अच्छा लगता है। वो कहती हैं हर त्योहार सभी का होता है और हमें मिलकर मनाना चाहिए।

मोहब्बत जीत गई

माथे पर बिंदी और होंठों पर मुस्कुराहट सजाए नेहा कहती है। मैं पिछले तीन साल से जामा मस्जिद में इफ्तार बाँटने आ रही हूँ। यह जो कुछ भी मैं कर रही हूँ यह अकेले मुमकिन नहीं था। मैं एक एनजीओ चलाती हूँ। मेरी टीम, मेरे माता-पिता, मेरे बहन-भाई, भाभी सभी के साथ मिलकर मैं यह काम कर पा रही हूँ। हम लोग मिलकर तीन सौ से चार सौ लोगों के लिए इफ्तार बाँटते हैं। आज इंटरनेट पर अपनी वीडियो देख रही हूँ, लोग मेरा चैनल सब्सक्राइब कर रहे हैं। आजकल भले ही लोग नफ़रत का माहौल कितना भी बना लें। लेकिन लोगों ने साबित कर दिया कि मोहब्बत जीत गई। मैं पुरानी दिल्ली में चावड़ी बाजार से हूँ। हमारी पुरानी दिल्ली तो अनेकता में एकता की मिसाल है। मेरे मम्मी-पापा ने मुझे हमेशा यही कहा है कि लोग दुनिया में आपस में कितने ही बैर बाँधें लेकिन हमें प्रेम बाँटना चाहिए। मैं अपनी बात करूँ तो मैं बहुत खुशक़िस्मत हूँ कि मुझे लोग दुआएँ देते हैं। जामा मस्जिद में जाकर रोज़दारों को इफ्तार करवाना मुझे बहुत अच्छा लगता है।

वाकई सोच की बात है

एक ओर जहाँ लोग इंटरनेट पर गानों और डांस की वीडियो बनाते हैं। वहीं नेहा की वीडियो और रील दिन को सुकून देने वाली और अमन का पैग़ाम लिए हैं। अगर आपको भी मेरी तरह यह लगता है कि रील्स देखना और बनाना बेफिज़ूल है तो आप यक़ीन जानें नेहा की रील्स देखने के बाद आप अपनी सोच बदल लेंगे। इस वक़्त जब हमारे भारत में एक अजीब सा खिंचा हुआ सा माहौल चल रहा है, उस वक़्त नेहा की यह वीडियो और रील्स बताती हैं कि अगर एक आदमी भी इस नफ़रत भरे माहौल में मोहब्बत के दीप जलाना चाहे तो वो कर सकता है। हाँ यह कोई किताबी बात नहीं रह गई है। नेहा ने यह साबित कर दिया कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। आप भी नेहा की वीडियो यहाँ देख सकते हैं।

तुम जियो नेहा, मोहब्बत के ऐसे ही पैग़ाम फैलाओ। तुम जैसे लोगों की इस वक़्त हिंदुस्तान को बहुत ज़रूरत है।

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