शिक्षक दिवस की शुभकामनाओं के साथ
इस शिक्षक दिवस पर कुछ बातें जो हमारे जेनरेशन और हमारे फ्यूचर जनरेशन के लिए बहुत जरूरी हैं, अगर हम समझें तो आज वह दौर है कि एक तरफ तो मॉडर्न एजुकेशन, हाईटेक क्लासरूम, फुल्ली अंडर ऑब्जर्वेशन स्कूल कैंपस, फन एरिया, प्ले एरिया, डिसिप्लींड और स्मार्ट टीचिंग स्टाफ - इतना सबका जोर-शोर है, वहीं दूसरी तरफ हर दिन देश के किसी न किसी कोने से स्टूडेंट्स के साथ मारपीट, हरासमेंट, बुलींग, फिजिकल टॉर्चर, और यहां तक कि हत्या तक होने की खबरें आ रही हैं। क्या हमारे यह मासूम फूल जैसे बच्चे इस तरह से मुरझाने के लिए दुनिया में लाये जाते हैं कि उनको बुरी तरह मसल कर रख दिया जाए या उनकी पर्सनालिटी को इस हद तक बिगाड़ दिया जाए कि वह उम्र भर बचपन के ट्रोमा से ना निकल सकें?
हम सब जानते हैं कि पैरंट्स बनने के बाद एक बच्चे की परवरिश, उसकी तरबियत, इसी पर हमारा फोकस रहता है। फिर कुछ बड़ा होने पर इस उम्मीद से कि हमारा बच्चा एक अच्छा इंसान बने और दुनिया में अच्छे से सरवाइव कर सके, अपना फ्यूचर ब्राइट कर सके, अपने दिल के टुकड़े को स्कूल भेजते हैं। इतने छोटे से बच्चे को कितनी मुश्किल से दिल बड़ा करके स्कूल भेजा जाता है यह बतौर पेरेंट्स हम जानते हैं l
फिर ऐसे में जब हम यह सुनेंगे कि किसी स्कूल में टीचर ने इतनी बुरी तरह मारा कि बच्चे का कान का पर्दा फट गया, आंख बेकार हो गई, या मार-मारकर हड्डियां तोड़ दीं, या जात-पात को लेकर परेशान किया, या कोई सीनियर स्टूडेंट्स जूनियर को हरास करें, डराए-धमकाए और उसको फिजिकल टॉर्चर करें, तो क्या कोई अपने जिगर के टुकड़े को खुद से दूर करने और एक अनजान कैंपस में भेजने की हिम्मत जुटा सकेगा?
शिक्षा के मंदिर में इतनी एडवांस टेक्नोलॉजी के होते हुए यह सब घटनाएं होना कोई मामूली बात नहीं है। यह बहुत ही चिंता का विषय है कि हमारा देश किस तरफ जा रहा है। एक तरफ तो यह दौर मॉडर्न सिविलाइजेशन का हाईएस्ट डेवलप्ड दौर है, और दूसरी तरफ इंसान के मानसिक पतन का भी ।
कौन है इस सबके लिए जिम्मेदार? जिस देश में गुरुकुल की हजारों सालों तक परंपरा रही हो, वहां आए दिन यह घटनाएं होना कितना शर्मनाक है! क्या शिक्षक अपने पद की गरिमा भूल गए हैं? इसलिए स्टूडेंट्स अपने शिक्षक की महिमा भूल गए हैं?
वह कैसे शिक्षक थे जो अपने छात्रों को तरह-तरह से हीरा बना दिया करते थे, जिन्होंने शिक्षा की सेवा को अपना उद्देश्य बना लिया था। आज भी ऐसे टीचर हैं, लेकिन अगर एक भी गलत नज़रिए या ज़हनियत का टीचर हो, तो वह पूरे इंस्टिट्यूट पर सवालिया निशान खड़ा कर देता है।
इस शिक्षक दिवस पर, हम सभी शिक्षकों से यह अपेक्षा करते हैं कि इन मासूम नेनिहालों को एक सुंदर और बेफिक्र माहौल में हर वह कौशल सिखाने की कोशिश करें, जो उनके बेहतर भविष्य के लिए जरूरी है, और अपने-अपने तौर पर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें।
जय हिन्द
सन्दर्भ: https://tinyurl.com/mwuu7pc8 (हिंदुस्तान टाइम्स), https://tinyurl.com/3z9h6t83 (टाइम्स ऑफ़ इंडिया), https://tinyurl.com/ycykzew8 (द इंडियन एक्सप्रेस), https://tinyurl.com/5xf3uy6t (बिज़नस स्टैण्डर्ड)