अपने लेडी लक को चीयर करने पहुंचे नारायण मूर्ति और ऋषि सुनक

अपने लेडी लक को चीयर करने पहुंचे नारायण मूर्ति और ऋषि सुनक

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे दिन सुधा मूर्ति और उनकी बेटी अक्षता मूर्ति का सेशन "माई मदर, माई सेल्फ" बहुत अलग मायनों में खास रहा। इस सेशन में अक्षता ने अपनी मां से उनकी पेरेंटिंग से संबंधित बहुत से सवाल पूछे। भई, यह अपनी तरह का एक खूबसूरत सा इत्तेफाक था कि मां और बेटी दोनों मंच पर एक साथ थीं। ऐसे में इस मौके को देखते हुए अक्षता ने अपनी कुछ शिकायतें भी मां से कीं। उन्होंने कहा कि "जब आप मुझे बचपन में पार्टी नहीं करने देती थीं, तो मुझे बहुत बुरा लगता था।" अक्षता ने अपनी कुछ ऐसी शिकायतों की पोटली खोली, तो मुस्कुराकर सुधा ने उन्हें ऐसा नहीं करने की वजह भी बताई।

जैम पैक्ड सेशन

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का यह सेशन कई मायनों में खास था। इस सेशन को अटेंड करने और दोनों मां-बेटी को चीयर करने के लिए इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी मौजूद रहे। सेशन शुरू होने से पहले सुनक दोनों को "ऑल द बेस्ट" कहते नजर आए। सुनक को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। ऐसे में उन्होंने नमस्ते कर अभिवादन किया। आपको बता दें कि सुनक और अक्षता दोनों ही जेएलएफ लंदन के सपोर्टर हैं। अपनी पत्नी को मोटिवेट करने के लिए सुनक शुक्रवार की रात को ही जयपुर आए थे।

यह परवरिश है

खैर, बात करें अक्षता के सेशन की तो उन्होंने अपनी बात की शुरुआत गीता के श्लोक "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" के साथ की। उन्होंने कहा कि "कर्म करते रहना चाहिए, फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए।" वो बेशक ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी हैं, लेकिन बात करने का उनका अंदाज बहुत सहज और सरल नजर आ रहा था। यह सादगी उन्हें अपनी मां और पिता से परवरिश में मिली है, जो अब उनकी पर्सनालिटी का हिस्सा है।

किताबें दी मैंने

इस सेशन के दौरान अक्षता ने अपनी मां को इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि उन्होंने सिर्फ उन्हें पढ़ने या स्कूल जाने पर ज़ोर नहीं दिया, बल्कि उनका फोकस इस बात पर था कि उनके बच्चे "नॉलेज गेन करें"। उन्होंने सुधा मूर्ति से सवाल किया कि "नॉलेज हासिल करने की आपकी यह सोच कहां से आई?" इस पर सुधा ने कहा कि "यह सोच मुझे मेरे परिवार से मिली है।" मेरे घर में बच्चों को बचपन में तोहफे में "किताबें" दी जाती थीं। हमारे परिवार में पैसे को नहीं, नॉलेज को अहमियत दी जाती थी। यही फलसफा मैंने तुम्हें और रोहन को भी सिखाया। जीवन को बेहतर अगर कोई चीज बना सकती है, तो वे सिर्फ किताबें हैं। मैं जिस परिवार से आती हूं, वो शिक्षकों का परिवार है। लेकिन सुधा मूर्ति भी सुधा मूर्ति हैं, वो किसी भी मौके पर नारायण मूर्ति की चुटकी लेना नहीं भूलतीं। उन्होंने कहा कि "सिर्फ नारायण मूर्ति ही हैं, जो बिज़नेस में चले गए।"

मैं सेवा करती हूं

अगर हम सुधा मूर्ति की बात करें, तो हर कोई जानता है कि वो कितनी सादा हैं। मिजाज में सादगी और सेवा का भाव भी उन्हें अपने पिता से विरासत में मिला है। उन्होंने बताया कि उनके पिता एक "नास्तिक इंसान" थे। लेकिन वह समाज और लोगों की बहुत सेवा करते थे। "मैं भी सेवा करती हूं। जब मैं भगवान से मिलूंगी, तो उनसे कहूंगी कि मैंने तुम्हारी भक्ति से ज़्यादा सेवा की है।"

वायरल हो रहा है पांव छूना

खैर, सेशन के परे सुधा मूर्ति की बात करें तो वह जेएलएफ में छाई हुई हैं जावेद अख्तर के साथ उनका वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वे जावेद अख्तर के पैर छूती नजर आ रही हैं। यह वीडियो जेएलएफ के पहले दिन का है। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें इस गेस्चर के लिए बहुत एप्रिशिएट कर रहे हैं।

को-ऑर्ड सेट: अपनी वॉर्डरोब का हिस्सा बनाएं
को-ऑर्ड सेट: अपनी वॉर्डरोब का हिस्सा बनाएं

हर दौर में फैशन की दुनिया में एक नया ट्रेंड आता है,जो कुछ दिनों तक लोगों के स्टाइलिंग का हिस्सा बन जाता है। पिछले कुछ समय में एक ट्रेंड काफी छाया हुआ...

Corporate Journey: Promotion – Is it really all positives?
Corporate Journey: Promotion – Is it really all positives?

The corporate world is a competitive place, and when we climb that ladder — it can often seem like the ultimate career milestone. This is the most...