बच्चों के सवालों के जवाब दीजिए, उनकी उत्सुकता बनी रहेगी

बच्चों के सवालों के जवाब दीजिए, उनकी उत्सुकता बनी रहेगी

हाल ही में एक आईआईटी बॉम्बे में पढ़ने वाले एक स्टूडेंट का तैयारी के दौरान का एक किस्सा सामने आया है। इसमें उन्होंने बताया है कि उनके मां बाप ने उन पर नज़र रखने के लिए कमरे में सीसीटीवी कैमरा लगा रखा था। वो कहने लगे मैं मानता हूं कि वो मेरी पढ़ाई को लेकर बहुत कंसर्न थे लेकिन जिस तरह से मुझ पर नज़र रखी गई है वो मैं ना भूल सकता हूं और ना ही मैं उन्हें माफ कर सकता हूं। मुझे लगता है कि अगर आपको अपने बच्चे को कामयाब बनाना है तो उस पर नज़र रखने के बजाए उसकी क्यूरियोसिटी को ज़िंदा रखें। इस आईआईटी स्टूडेंट की यह बात मुझे अंदर तक झंझोड़ गई। वाकई में लोगों के लिए एक सपना होता है आईआईटी। वो बच्चे जो इसकी तैयारी कर रहे होते हैं और वो मिडिल क्लास पेरेंट्स जो अपनी तमाम ज़रूरतों को ताक में रखकर यह तैयारी महंगी कोचिंगों में करवा रहे होते हैं उन पर कितना प्रेशर रहता होगा। अगर हम इस आईआईटी स्टूडेंट की निगाह से देखते हैं तो ज़ाहिर है जैसा मुझे लग रहा है आपको भी लगेगा कि पेरेंट्स को सीसीटीवी कैमरा नहीं लगाना चाहिए था। उन्होंने गलत किया। लेकिन अगर हम पेरेंट्स के आस्पेक्ट से देखें तो उनकी मंशा केवल उस बच्चे पर नज़र रखने की नहीं रही होगी। बल्कि हर पेरेंट की तरह वो भी चाहते होंगे कि बच्चा कामयाब हो जाए। लेकिन एक गलती कर गए वो अपने बच्चे का ध्यान रखते रखते और उसकी निगरानी करते करते उन्होंने कब उसे एक तरह से नज़र कैद कर लिया उन्हें पता तक नहीं चला। यह गलती उन्होंने की और उनके बच्चे को यह गम साल रहा है और शायद ताउम्र सालता रहेगा लेकिन एक पेरेंट होने के नाते याद रखिए कि हम कुछ ऐसा करें कि हमारे स्वाभाविक रूप से अपने आस-पास की दुनिया के लिए उत्सुक बने रहें। वो जब कुछ जानना चाहें जब कुछ पूछें तो हम उन्हें सही तरह से जवाब दें।

आप बताइए उन्हें

हमने अक्सर छोटे बच्चों को बहुत सवाल पूछते देखा है। बच्चे जब दुनिया को देखते हैं तो उनके मन में सवाल आते हैं। वो पूछते हैं सूरज कहां छिप जाता है। यह चांद रोज अपना आकार क्यों बदलता है। लेकिन अक्सर ही हमने देखा है कि लोग छोटे बच्चों के सवाल के जवाब देने में कोई उत्सुकता नहीं दिखाते। अगर बच्चा बार-बार सवाल पूछ रहा है तो उसे झुंझलाकर डांटने-डपटने भी लगते हैं। कुछ बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं वो पेरेंट्स के इस रवैए की वजह से सवाल पूछना ही छोड़ देते हैं। और हमें पता भी नहीं चलता हम अपनी बिजी लाइफ की वजह से ही उनकी उत्सुकता को ही नहीं उनके बौद्धिक विकास को भी खत्म कर रहे हैं। आप याद रखिए अगर आपका बच्चा सवाल पूछ रहा है तो आपकी ज़िम्मेदारी है उसके सवालों के लॉजिकल आंसर देने की। अगर आपको नहीं पता तो आप उसे साफ कहिए मुझे अभी इस सवाल का जवाब नहीं पता मैं पता करके बताऊंगा या बताऊंगी। आज से ही तय कर लें कि आप कितने भी बिजी क्यों ना हों आप तय कर लें कि बच्चों के सवालों के जवाब आपको देने ही हैं।

उन्हें कहिए आप उनके साथ हैं हमेशा

एक पेरेंट अगर अपने बच्चे के कामयाब होने का सपना देखता है तो वह गलत नहीं होता। बस कभी-कभी गलत हो जाता है नज़रिया। यह सच है कि आपसे बेहतर आपके बच्चे के बारे में और कोई नहीं सोच सकता। आप जो कर रहे हैं जैसा कर रहे हैं वो बेस्ट है। लेकिन बस इतना याद रखिए कि आपका बच्चा होने के साथ-साथ वो एक इंसान है। उसके अपने सपने आपसे इतर हो सकते हैं। आप जिस चश्मे से दुनिया को देख रहे हैं हो सकता है कि उसका चश्मा कोई और सा हो। अपने सपनों को अपने बच्चों के साथ साझा करिए। उसे बताइए कि आप उसके साथ हैं हमेशा। वो आपका प्रोडक्ट नहीं आपका अपना बच्चा है। उसकी जिंदगी में एक जासूस नहीं एक गाइड बनिए। जब आप ऐसा करेंगे तो अपनी जिंदगी की बहुत सी बातें वो साझा करेगा। ऐसा ना हो कि आपकी नज़रों में इतनी जकड़न आ जाए कि वो बहुत सफाई से सच के आवरण में आपसे बातें छिपाने लग जाए। याद रखिए सवाल बने रहें। सवाल होंगे तो संवाद होगा।

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