पेरेंटिंग: सुधा मूर्ति की ये पेरेंटिंग टिप्स आपके बच्चों को जीवन के लिए तैयार करेंगी

पेरेंटिंग: सुधा मूर्ति की ये पेरेंटिंग टिप्स आपके बच्चों को जीवन के लिए तैयार करेंगी

दोनों पेरेंट वर्किंग हों या एक घर पर रहकर जिम्मेदारी निभाता हो, मगर बच्चों को जीवन में अच्छी सीख देने की जिम्मेदारी दोनों की होती है। आज के भागदौड़ के दौर में पेरेंट्स के लिए बच्चों की परवरिश आसान नहीं है। गैजेट्स के इस दौर में बच्चों पर पेरेंट्स से ज्यादा स्क्रीन का असर देखने को मिलता है। ऐसे में बच्चों की परवरिश के लिए इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सुधा मूर्ति की पेरेंटिंग टिप्स आपके लिए मददगार साबित हो सकती हैं।

सुधा मूर्ति अक्सर कॉलेज फंक्शन्स या साझात्कार के दौरान पेरेंटिंग और बदलती जीवनशैली पर बात करती रहती हैं। आइए जानते हैं उनमें से कुछ टिप्स जो आपके लिए पेरेंटिंग की राह को थोड़ा आसान बना सकते हैं:

·        किताबों को बनाएं साथी

आजकल छोटे से छोटे बच्चे को मोबाइल के साथ समय बिताते देखा जा सकता है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? कभी सोचा है क्या? बच्चे देखते हैं कि अपने कामों से फ्री होने के बाद पेरेंट्स के हाथों में ज्यादातर समय मोबाइल होता है। कभी-कभी माएं काम के बोझ की वजह से बच्चों को मन बहलाने के लिए मोबाइल पकड़ा देती हैं। ऐसे में सुधा मूर्ति पेरेंट्स को सलाह देती हैं कि बच्चों को गैजेट्स की जगह किताबें दें। बच्चों को किताबों से जोड़ने के लिए आपको भी उनके साथ किताब पढ़ना होगा, जिससे आपको देखकर बच्चा अपने आप फॉलो कर लेगा।

·        तुलना करने से बचें

आज के दौर में हम इस बात से भलीभांति परिचित हैं कि हर बच्चा अलग होता है। उसकी रुचि और सपने दूसरों से अलग होते हैं। इसलिए अपने बच्चे की तुलना दूसरे के साथ कभी न करें। अक्सर पेरेंट्स अपने बच्चे की तुलना स्कूल के अन्य बच्चों के कामों से करते हैं। इससे बच्चे में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है।

·        बच्चों का पथ आप न तय करें

ज्यादातर पेरेंट्स अपने बच्चों के जरिए दोबारा बचपन जीतने की कोशिश करते हैं। कई बार अनजाने में वे बच्चों से उम्मीदें कर लेते हैं जो कुछ वे नहीं कर पाते थे।  अपने सपनों को पूरा करने का दबाव डालना बहुत गलत है। बच्चे की रुचि का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि अगर उसकी रुचि नहीं होगी तो वह अच्छा काम नहीं कर पाएगा।

·        बच्चों से बातचीत करते रहें

किसी भी समस्या का हल बातचीत से आसान हो जाता है। अपने बच्चों से बातचीत करते रहना बहुत जरूरी है। आजकल छोटे बच्चों को भी स्ट्रेस और एंग्जाइटी हो जाता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि उनके जीवन में क्या चल रहा है। साथ ही, उन्हें मोरल स्टोरीज के जरिए अच्छी बातें सिखाने की कोशिश करनी चाहिए। कहानियों के जरिए बच्चे आसानी से सीख जाते हैं।

·        पैसे का महत्व सिखाएं और दूसरों की मदद के लिए तैयार करें

सुधा मूर्ति कई बार निजी अनुभव पेरेंट्स के साथ साझा करती हैं। वे अपने बेटे के जन्मदिन मनाने से जुड़े वाक्ये को कई बार साझा कर चुकी हैं। उनका बेटा एक महंगे रेस्तरां में बर्थडे मनाने की जिद कर रहा था। उन्होंने उसे समझाया कि उतने में उनके ड्राइवर के बच्चे की स्कूल फीस दी जा सकती है। अंत में निर्णय अपने बेटे के ऊपर छोड़ दिया। पहले तो उनका बेटा इस बात के लिए तैयार नहीं था, लेकिन कुछ देर बाद वह इस बात के लिए राजी हो गया।

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