जीवन का खेल: क्रिकेट से सीखें

जीवन का खेल: क्रिकेट से सीखें

अभी ताजा ताजा इस टॉपिक पर बहुत लिखा गया है और हमने साल 2024 के कुछ सुनहरे पलों मे से एक पल क्रिकेट की वजह से जीया। खैर हम यहां बात करने वाले हैं कि ऐसा क्या है क्रिकेट में कि ज़्यादातर पुरुष समाज की यादों मे यह कही ना कही रहता है। कलेक्टर हो या कंडक्टर सब इस खेल के दिवाने रहे हैं ऐसा आखिर क्यों?

शायरी और क्रिकेट का मेल

अच्छा, इस बात को समझाने के लिए एक बड़ी अच्छी बात याद आ गयी जैसे आज लिटरेचर फेस्टिवल होते हैं उस ज़माने मे काफी हल्क़े लगा करते थे । किसी बरगद के पेड़ के नीचे या फिर चबूतरे के बाहर लोग बैठ कर एक दूसरे से नॉलेज शेयर किया करते थे तो एक बार एक हल्के मे एक उर्दू अदब के जानकार से ये पूछा गया कि अच्छी शायरी क्या होती है ? तो उस्ताद ने बडा ही नफासत भरा जवाब दिया कि शायरी वही अच्छी मानी जाती है जिसको जिस मौके पर पढ़ा जाये तो वो उस मौके की बन जाये तो शागिर्दों ने पूछा, वो कैसे? तो उस्ताद ने कहा जैसे गालिब साहब का एक शेर है "हर एक बात पे तुम कहते हो कि तू क्या है। तुम ही बताओ कि ये अंदाजे गुफ़्तुगू क्या है"

क्रिकेट के मैदान से जिंदगी के सबक

इसी तरह एक क्रिकेट के मैच में लड़के अपनी उम्र के हर दौर को जी लेते है। बात वही आशिकी-माशुकी से की जाये तो थोडा ज्यादा इंट्रेस्ट आयेगा । जब एक लड़का किसी लड़की को पसंद करने लगता है तो बहुत ही हिचकता है, कोशिश करता है कि किसी तरह बात हो जाये पर चैकन्ना इतना रहता है कि किसी को पता ना चल जाये तो एक कशमकश चलती रहती है कि क्या करूं क्या ना करूं और इसका जवाब उसको कहाँ मिलता है? खेल के मैदान पर। अब इस मैच मे एक पल वो भी आता है कि जब लगता है कि अब मैच निकल गया हाथ से सब और इस बात का ऐक्सपिरियंस अभी ताजा-ताजा ही है । जब फाइनल मे साउथ अफ्रिका को 29 बॉल पर 29 रन चाहिये थे l मिलर और क्लासन बैटिंग कर रहे थे तब दुनिया की एक बहुत बड़ी क्रिकेट देखने वाली आबादी ये मान चुकी थी कि ये वाला वर्ल्डकप भी इंडिया के हाथ से गया लेकिन ऐसा नही हुया क्योंकि खुद भारत के कप्तान ने बताया कि इमने हमारा कोन्फिडेंस डाउन नही होने दिया l

हमने हमारे अंदर ये जज़्बा बनाया कि मैच अभी खत्म नही हुआ, हमें आखरी बॉल तक लड़ना है और इस जज़्बे ने काम किया और नतीजा हम सब के सामने है। सो अब यही हालात पैदा हो गये एक शादी में कि खाना खत्म होने लगा एकदम से पता चला कि अरे अब शोरबा बहुत कम बचा है अब सब को लगने लगा कि यार ये तो बहुत बेइज़्ज़ती का काम हो गया अब क्या होगा लोग भूखे जायेंगे लेकिन तभी अंकल जी ने बावर्ची को बोला की जल्दी से सब्ज़ी बनाने की पतीली चढ़ा दो, किसी को पनीर लेने भेजा तो किसी को सब्ज़ी लेने और थोड़ी देर मे देखा की सब्ज़ी वापस बन गयी और जो सिचुएशन बिगड़ने वाली थी वो अपने कंट्रोल मे थी।

फेलियर से सीखना

अच्छा उपर के कुछ उदाहरण से आप सोच रहे होंगे कि ये कहानियां तो हिन्दी फिल्मों की तरह है कि लास्ट हमेशा अच्छा ही बता रहे हैं ये तो सुनिये साल 2007 पहला टी-20 विश्वकप जिसको भारत ने जीता था याद है ना अपना युवराज सिंह जिसने 6 बॉल पर 6 छक्के मारे थे किसके खिलाफ मारे थे शायद इसका जवाब आपको पता हो इंग्लैंड पर वो बॉलर कौन था जिसके साथ ऐसा हुया़...अरे 6 बाॅल पर 6 छक्के यार कितना बडा फेलियर...यानि कि 6 बार कोई ऐक्जाम दिया और 6 बार ज़ीरो या 6 बार एक ही रिजल्ट...फेल, क्या होगा लाइफ मे?

पर रुको यारों, ब्रेक मारो, ये तो पूछो उस बॉलर का क्या हुया जिसके साथ ये घटना घटी थी उस बालर का नाम है स्टूअर्ट ब्रॉड। इंग्लैंड के सबसे सफल तेज गेंदबाजों मे से एक। उसके नाम से टेंट ब्रिज मे एक ऐंड है उसने अपनी जिंदगी मे उन सब सफलताओं और मुकामों को हासिल किया जो कि एक आदमी का सपना होता है तो इसलिए आज आदमी जब फेल होता है तो उसको यही समझना चाहिये कि जिंदगी के अपने आयाम है यहां कुछ ना कुछ हो ही जायेगा और जो होगा वो कल्पनाओं से बहुत परे होगा।

निष्कर्ष

जीवन में सफलता और असफलता दोनों ही सिखाती हैं। हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए और हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। क्रिकेट के मैदान से लेकर जीवन के हर क्षेत्र में, यही जज़्बा और संघर्ष हमें सफलता की ओर ले जाते हैं। हर असफलता एक नया सबक सिखाती है, और हर सफलता हमें और अधिक प्रयास करने की प्रेरणा देती है।

इसलिए, जीवन के हर मैदान में हमें अपने आप को मजबूत बनाना होगा, हार नहीं माननी होगी, और हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश करनी होगी। क्रिकेट के मैदान से लेकर जीवन के हर क्षेत्र में, यही जज़्बा और संघर्ष हमें सफलता की ओर ले जाएंगे।

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