सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की सकुशल वापसी के बाद अंतरिक्ष की दुनिया में मानव के बढ़ते कदमों को बड़ा प्रोत्साहन मिल गया है। भले ही सुनीता और विल्मोर 9 महीनों से स्पेस स्टेशन पर फंसे हुए थे। लेकिन वैज्ञानिकों ने बिना हार माने उन्हें वापस लाने के प्रयासों के साथ-साथ दूसरे मिशन की तैयारी भी जारी रखी। जिस स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान ने सुनीता और विल्मोर को स्पेस स्टेशन से वापस लाने का काम किया है, अब वही स्पेसएक्स ड्रैगन दूसरे मिशन के लिए पूरी तरह तैयार है। नासा के अगले मिशन एग्ज़ियम मिशन 4 में चार यात्री अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। इनमें भारतीय शुभांशु शुक्ला भी शामिल हैं। वे स्पेस स्टेशन जाने वाले पहले भारतीय होंगे। 14 दिनों के इस प्रोग्राम के लिए शुभांशु को-पायलट के तौर पर जाएंगे। शुभांशु भारत के गगनयान मिशन का भी हिस्सा हैं। शुभांशु की अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की यात्रा उनके गगनयान मिशन में भी मददगार साबित होगी।
एग्ज़ियम मिशन 4 से इसरो का भी है कनेक्शन
एग्ज़ियम मिशन 4 पहला कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन प्रोग्राम होगा। इस प्रोग्राम को नासा और इसरो एग्ज़ियम स्पेस के सहयोग से कर रहे हैं। स्पेसएक्स ड्रैगन चार अंतरिक्ष यात्रियों के साथ फ्लोरिडा के स्पेस कैनेडी सेंटर से अंतरिक्ष स्टेशन के लिए रवाना होगा। मिशन का नेतृत्व कमांडर पैगी व्हिटसन करेंगी। उन्होंने एग्ज़ियम 2 (Ax-2) मिशन की कमांडर के रूप में काम किया था। वे नासा की सबसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्री हैं। हंगरी के रहने वाले तिबोर कापू भी इस मिशन का हिस्सा हैं। वे मैकेनिकल इंजीनियर हैं, जो स्पेस रेडिएशन प्रोटेक्शन में महारत रखते हैं। वहीं भारतीय वायुसेना के पायलट शुभांशु शुक्ला इस मिशन में को-पायलट होंगे। उन्हें इसरो के गगनयान मिशन के लिए भी चुना गया है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी के एस्ट्रोनॉट रिज़र्व क्लास ऑफ 2022 के मिशन के चौथे सदस्य होंगे।
अब तक के एग्ज़ियम मिशन
आपको बता दें कि एग्ज़ियम मिशन 4 से पहले इस मिशन के तीन चरण पूरे हो चुके हैं। अप्रैल 2022 में एग्ज़ियम मिशन 1, लॉन्च किया गया था। जो ऑर्बिटिंग लैब में 17 दिनों तक रहा। इसके बाद मई 2023 में दूसरा एग्ज़ियम मिशन 2, भेजा गया था। ये मिशन स्पेस स्टेशन पर आठ दिनों का था। एग्ज़ियम मिशन 3, जनवरी 2024 में लॉन्च किया गया था। इसमें स्टेशन पर 18 दिन बिताए। एग्ज़ियम मिशन 4 के लिए 14 दिन का समय तय किया गया है। ये मिशन 2025 में होगा।
शुभांशु का लखनऊ से अंतरिक्ष तक का सफर
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में शुभांशु का जन्म 10 अक्टूबर 1985 में हुआ था। 38 वर्षीय शुभांशु एक फाइटर पायलट और कॉम्बैट लीडर हैं। लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा के बाद शुभांशु ने एनडीए से टेक्नोलॉजी में स्नातक की डिग्री ली। उसके बाद उन्होंने बेंगलुरु के IISc से मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी की डिग्री हासिल की। 2006 में वे भारतीय वायुसेना में शामिल हुए। इसके बाद 2019 में उन्हें अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण के लिए चुना गया। वे इसरो के गगनयान मिशन का भी हिस्सा हैं। अब वे भारत के मिशन के साथ ही एक प्राइवेट मिशन का भी हिस्सा बन अपना नाम अंतरिक्ष में लिखने को तैयार हैं।