ट्रक चलाने से संगीत की दुनिया के शिखर पर पहुंचे कैलाश खेर

ट्रक चलाने से संगीत की दुनिया के शिखर पर पहुंचे कैलाश खेर

जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में दुनिया भर से साहित्‍य से जुड़े लोग शिरकत कर रहे हैं। इस फेस्टिवल के दूसरे दिन संगीत की दुनिया के जानी मानी हस्‍ती कैलाश खेर भी लिट्रेचर फेस्टिवल में शामिल हुए। कैलाश ने तेरी दिवानी- शब्दों के पार' सेशन के दौरान अपनी किताब का विमोचन किया। उन्‍होंने संजॉय रॉय, वैशाली माथुर के साथ किताब का विमोचन किया। 'तेरी दिवानी- शब्दों के पार' सेशन में कैलाश खेर ने अपनी ज़िन्दगी से जुड़े कुछ अनमोल पलों को भी साझा किया।

लिट्रेचर फेस्टिवल में ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाने वाले आते हैं

तेरी दीवानी सेशन के दौरान कैलाश ने ऑडियंस के बारे में बात करते हुए कुछ ऐसा कहा कि सभी उनके सूफ़ियाना अंदाज़ के क़ायल हो गए। उन्‍होंने कहा कि पहली बार इतनी बड़ी संख्या में पढ़े-लिखे लोग एक साथ दिख रहे हैं। गानों की ऑडियंस तो पचास हज़ार साठ हज़ार की होती हैलेकिन वे कहां देखते हैं पता नहीं चलता है। इसलिए यहां इस भीड़ को देखकर अच्छा लगता है। उनकी बातों से ऐसा लग रहा था कि जैसे वे लिट्रेचर फेस्टिवल में आए लोगों के ज्ञान की भूख को समझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जैसे गाने वाले गायकों में फर्क होता है, वैसे ही ऑडियंस में भी ज्ञान और विज्ञान का फर्क होता है। हमें शुरू-शुरू में कई कलाकार मिले। हम थे तो कलाकार लेकिन कलाकार हमें मिले। फिर मुझे संजॉय मिले और फिर बात बढ़ी। वे अपनी गहरी बातों से लोगों के सामने कुछ सवालिया निशान भी छोड़ गए। 

ट्रक चालक से संगीत की दुनिया के शिखर तक

कैलाश खेर ने सेशन के दौरान अपनी निजी ज़िन्दगी से जुड़ी कई बातें भी शेअर की। उन्होंने अपनी जीवन के बारे में बात करते हुए कहा कि जब आप अनाथ हो जाते तो दुनिया अलग हो जाती है। उन्‍होंने अपने शुरूआती स्‍ट्रगल के बारे में बात करते हुए बताया कि  "मैं दिल्ली में ट्रक चलाता था। पहली बार ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना था, उन दिनों एजेंट से काम होता था। एजेंट ने पूछा कमर्शियल लेगा या प्राइवेट। मुझे कमर्शियल अच्छा लगा, क्योंकि पता ही नहीं था, यह क्या होता है।" यही नहीं उन्‍होंने बताया कि वे न्यूज़ पेपर में भी काम कर चुके हैं। कैलाश ने जनसत्‍ता और नवभारत में काम किया है।

कला भी इश्क़ की तरह ही है

कैलाश खेर ने आर्ट्स से जुड़ने और उनके दौर में कला के प्रति लोगों के रवैये के बारे में भी बात की। कैलाश खैर ने इसे आशिक़ाना अंदाज़ में बयान किया। उन्‍होंने अपने समय में कला से जुड़े लोगों के बारे में बात करते हुए कहा कि "जब आपको हिक़ारत से देखा जाता है। जब लोग कहते हैं कि क्या करता है, पढ़ता भी है या नहीं। उस समय लोग गणित पढ़ रहे थे। हम आर्ट्स सीख रहे थे। ये ठीक वैसे ही था जैसे छिपकर प्यार करते हैं। लोग कहते हैं कि इश्क़ इबादत है, लेकिन वह छिपकर करना होता है।

रिजेक्‍शन और फेल्‍योर पर होगी अगली किताब

अपनी पहली किताब के विमोचन सेशन में ही कैलाश ने अगली किताब पर भी बात की। अगली किताब पर बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि किताब का नाम 'Prodigy of Failure' होगा। उन्‍होंने अपने स्‍ट्रगल के दौर को याद करते हुए कहा कि लोगों ने हमें बहुत हर्ट किया और रिजेक्ट भी किया। मुंबई में भी काफी रिजेक्शन झेला। 'तू जो छू ले प्यार से, मैं मर जाऊं', गाने के बारे में बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि इसमें इमोशन हैं, जज़्बात हैं। ये तेरी दीवानी के रूप में आपके बीच आई है।

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