सिर्फ़ अदब ही नहीं, राजनीति का भी छाया मामला

सिर्फ़ अदब ही नहीं, राजनीति का भी छाया मामला

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल किताबों की एक दुनिया है, जहां साहित्यकार और साहित्य प्रेमी दोनों ही मौजूद होते हैं। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 की बात करें, तो इस साल भी बहुत से लोगों ने शिरकत कर फेस्टिवल को सफल बनाया। इसमें लेखक, नेता, अभिनेता, सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर जैसे कई लोग शामिल हुए। जेएलएफ अदब की महफ़िल है। यहां किताबों के बारे में बहुत चर्चा होती है। लेकिन यह वो मंच भी है जहां विचारक खुले दिल से अपने विचार प्रस्तुत करते हैं। इस साल जेएलएफ में कुछ राजनीतिक विचारों का भी बोलबाला रहा। आइए जानते हैं वे क्या थे।

"मैं सनातनी हूं लेकिन कोई पार्टी तय नहीं करेगी मैं कब राम मंदिर जाऊंगा" - शशि थरूर

कांग्रेस के नेता शशि थरूर एक बेहतरीन लेखक हैं। वे राजनेता हैं, ऐसे में मंच पर अपने विचारों को रखने का हुनर वे बखूबी जानते हैं। जेएलएफ के सेशन में हिंदू धर्म पर उन्होंने खुलकर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, "कोई एक पार्टी विशेष कैसे तय करेगी कि कोई श्रेष्ठ हिंदू है या नहीं? ऐसा कतई भी ज़रूरी नहीं है कि जो 'जय श्रीराम' का नारा लगाए, वही एक अच्छा हिंदू हो।"

सब जानते और मानते हैं कि हिंदू धर्म एक प्राचीन धर्म है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें संकीर्णता नहीं है। यह संस्कृतियों के साथ विकसित हुआ है। यही वजह है कि इस धर्म में स्वतंत्रता है। यह धर्म तो जीवन जीने की एक शैली है। ऐसे में इस धर्म से कोई एक पार्टी कैसे खुद को जोड़ सकती है और वह कैसे यह तय कर सकती है कि इस धर्म के मानने वालों को ऐसा करना होगा या वैसा करना होगा? "मैं एक सनातनी हूं और कोई पार्टी तय नहीं कर सकती कि मैं कब राम मंदिर जाऊंगा। यह कोई पार्टी तय नहीं कर सकती।" वेदों में लिखा गया है कि इस धर्म में प्रश्न पूछने और संदेह करने की परंपरा है। यह बात समझनी होगी कि सिर्फ़ 'जय श्रीराम' के नारे लगाने मात्र से आप हिंदू नहीं हो जाते।

"राजनीति तो भई एक प्रोफेशन है" - अमोल पालेकर

हमारे देश में राजनेता और राजनीति वो टॉपिक है, जिसके बारे में बहुत कुछ कहा और सुना जाता है। मौजूदा दौर की राजनीति में अब सोशल मीडिया का भी अपना प्रभाव है। जेएलएफ में राजनीति और राजनेताओं के संदर्भ में अमोल पालेकर ने बातचीत की। वे बोले, "आपने राजनेताओं के मुंह से अक्सर यह बात सुनी होगी कि 'हम तो भई जनसेवा के लिए आते हैं'। मैं इन सभी राजनेताओं से कहना चाहता हूं कि यह झूठ क्यों बोलते हैं आप लोग? आप सच कहिए ना कि राजनीति एक प्रोफेशन है।"

"मैं पैसे कमाने के लिए राजनीति में आया हूं" - अगर नेता ऐसा कहेंगे तो जनता को भी किसी किस्म का कंफ्यूज़न नहीं होगा। जब उनके पसंदीदा नेता एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाएंगे, तो वे समझ पाएंगे कि भई, यह प्रोफेशनल लोग हैं। ऐसा करना उनके प्रोफेशन का हिस्सा है।

"मैं नाम बोल दूंगा तो आप बंद हो जाएंगे" - जावेद अख़्तर

जेएलएफ की शान हैं जावेद अख़्तर। उनकी बातें, उनका अंदाज बहुत बेबाक और ख़ूबसूरत होता है। वे बातों-बातों में चुटकियां लेने में माहिर हैं। अपने सेशन ज्ञान सीपियां में वे अतुल तिवारी के साथ बातचीत कर रहे थे। इस दौरान अतुल तिवारी ने कहा, "आपकी वाकपटुता का हर कोई कायल है। आप मंच पर आते हैं और अपने दिल की बातें करते हैं। आपको बोलने के लिए प्रॉम्पटर की ज़रूरत नहीं होती। अगर मंच पर आप आए हैं और प्रॉम्पटर रुक भी जाए, तो भी आपको कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा।" हालांकि कुछ समय पहले एक व्यक्ति के साथ ऐसा हुआ था, तो उसे मंच पर अपनी बात बंद करनी पड़ी थी। इस पर सेशन में मौजूद लोग हंसने लगे और जावेद अख़्तर भी बहुत गहराई से मुस्कुरा दिए। वे कहने लगे, "मैं जानता हूं आप किसके बारे में बात कर रहे हैं। लेकिन आप मेरे दोस्त हैं, इसलिए मैं नाम नहीं ले रहा। वरना मैं नाम बोल दूंगा, तो आप ही बंद हो जाएंगे।"

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